
ये वही लोग हैं जिन्होंने सर्जिकल और एयर स्ट्राइ को काल्पनिक कहा था: मुख्यमंत्री साय
मुठभेड़ पर बदला पूर्व सीएम भूपेश बघेल का स्वर: जवानों को दी बधाई
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक दिन पहले (16 अप्रैल) को सुरक्षाबल के जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया। राज्य सरकार इसे बड़ी सफलता बता रही है। बस्तर लोकसभा सीट पर मतदान के ठीक 3 दिन पहले हुए इस मुठभेड़ को लेकर सियासत भी गरमा गई है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कल इस घटना को फर्जी बताया था, लेकिन आज उनके स्वर बदल गए हैं। मुठभेड़ को लेकर बघेल ने आज कहा कि हमारे जवानों के सूझबूझ और बहादुरी की प्रशंसा करता हूं। उन्होंने कहा कि हमारी नीतियों की वजह से सफलता मिली। हमने नक्सल उन्मूलन की जो नीति बनाई वह सफल थी। हमारी नीति से नक्सली काफी अंदर तक सिमट चुके हैं।
पढ़ें पहले क्या कहा था बघेल ने बीजेपी शासन में होता है फर्जी एनकाउंटर

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने कांकेर में नक्सली घटना पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया है। बघेल ने कहा कि बीजेपी शासन में नक्सलियों का फर्जी एनकाउंटर होता है। बघेल ने कहा कि राज्य में 4 महीने पहले बीजेपी की सरकार बनी है तब से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। बघेल ने कहा कि बस्तर में पुलिस भोले-भाले आदिवासियां को डराती है। बघेल ने कहा कि यहां कवर्धा में भी पुलिस वाले आदिवासियों को डरा रहे हैं उन्हें गिरफ्तार कर लेने की धमकी दे रहे हैं।
सीएम बोले- ये वही लोग हैं जिन्होंने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक को काल्पनिक कहा था

पूर्व सीएम बघेल के बयान पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पलटवार किया है। बघेल के बयान को लेकर मीडिया की तरफ से पूछे गए प्रश्न पर साय ने कहा कि हर चीज में इन लोगों को प्रश्न खड़ा नहीं करना चाहिए। ये वही लोग हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक को काल्पनिक कहा था। साय ने कहा कि यह (नक्सली) घटना तो उनके ही प्रदेश की है, कैसे सवाल उठा सकते हैं। यह घटना किसी भी तरह से फर्जी है तो उसको प्रमाणित करें।
गृह मंत्री ने कहा फोर्स का अपमान कर रहे हैं पूर्व सीएम

प्रदेश के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी पूर्व सीएम बघेल के बयान पर जवाबी हमला बोला है। गृह मंत्री ने कहा कि भूपेश बघेल जी कांकेर के एनकाउंटर को फर्जी बता रहे मैं चैलेंज करता हूं आप साबित करके दिखाइए और नहीं साबित कर सकते तो CRPF, BSF, DRG के जवानों से माफी मांगिए, बस्तर फाइटर्स से और नहीं तो जनता आपको माफ नहीं करेगी। श्री शर्मा ने कहा कि हर विषय में राजनीति ठीक नहीं।
छत्तीसगढ़ के कांकेर में जवानों ने 29 नक्सली को ढेर कर दिया, इसके बाद से पक्ष और विपक्ष के नेताओं में इस मुठभेड़ को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। वहीं, अब इसपर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने अपना बयान दिया है।
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा इस मुठभेड़ में कामयाबी के लिए जवानों को बधाई दी।इस दौरान वो सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के बयान पर निशाना साधा है।उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल को जवानों से माफी मांगनी चाहिए।वो इस तरह से हमारे वीर जवानों का अपमान नहीं कर सकते हैं।डिप्टी सीएम ने कहा कि ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे जवानों ने 29 नक्सली मार गिराए हैं, अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हमारे हाथ लगी है।बता दें कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी शासन में हुए एनकाउंटर को फर्जी बताया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बोले- बहुत कम समय में हम देश से नक्सलवाद उखाड़ फेंकेंगे
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कल छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली। जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं तब से बीजेपी सरकार ने नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ लगातार अभियान चलाया है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी, उस अभियान को और गति मिली। 2014 से हमने कैंप लगाना शुरू किया। 2019 के बाद, सरकार बनने के बाद, लगभग 3 महीने की अवधि में, कम से कम 250 कैंप लगाए जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में 80 नक्सली मारे गये हैं, 125 से ज्यादा गिरफ्तार किये गये हैं और 150 से ज्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि यह आगे भी जारी रहेगा और बहुत कम समय में मोदी जी के नेतृत्व में हम देश से नक्सलवाद उखाड़ फेंकेंगे।

सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासत कर नेताओं ने की बड़ी भूल..?
कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की फितरत रही हैं की इन्हे हर मामले सबूत चाहिए होता है ऐ वही लोग है जिन्होंने कभी भगवान श्रीराम के होने पर भी सवाल किए थे इतना ही नहीं इन्होंने भगवान राम के नही होने की पैरवी करने माननीय सुप्रीम कोर्ट में 24 वकील खड़ा किए थे इन्होंने न भगवान राम को छोड़ा न ही हमारे जवानों को छोड़ा बता दे कि सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना की ओर से आतंकियों को दिया गया सबसे माकूल जवाब था, लेकिन देश में इस पर सियासत कर राजनेताओं ने एक अपरिपक्वता का उदाहरण दिया था।29 सितंबर की सुबह सेना के डीजीएमओ रणबीर सिंह ने प्रेस कॉफ्रेंस कर पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की खबर देते हैं। उरी हमले के बाद “निंदा बयानों” से उकता चुकी जनता के लिए ये गर्व करने वाली खबर थी। गली के चौराहे से लेकर ट्विटर तक सभी जगह सेना की बहादुरी, सरकार की निर्णय लेने की क्षमता की प्रशंसा की जाने लगी थी।
इधर, आम आदमी से लेकर तमाम हस्तियों तक सभी सेना और सरकार को बधाई संदेश दे रहे थे। अमेरिका, रूस जैसी महाशक्तियों से लेकर बांग्लादेश, भूटान जैसे देश भारत के साथ खड़े थे। सभी इस सर्जिकल अटैक को जरूरी और उचित कदम बता रहे थे। यहां तक की पाकिस्तान का दोस्त चीन भी खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आने के बजाय तटस्थ रूख अपनाते हुए बातचीत और संयम से भारत-पाक के बीच तनाव को कम करने की बात कर रहा था।
खास बात यह है कि पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन का भारत ने बहिष्कार किया, जिसके बाद भूटान, मालदीव, बांग्लादेश ने भी भारत का साथ देते हुए आतंकवाद को मुद्दा बनाते हुए सार्क सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था परिणामस्वरूप सार्क सम्मेलन रद्द कर दिया गया था। हालांकि पाकिस्तान इस सर्जिकल स्ट्राइक को झूठा बताने का राग अलापता रहा और अलाप रहा है, लेकिन उसके राग को सुनने वाला कोई नहीं. पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग दिखाई दे रहा था।विदेश के साथ-साथ देश में भी तमाम राजनीतिक दल एक-दूसरे से विरोध के बावजूद सरकार के साथ खड़े थे। लगा था कि चलो कम से कम आतंकवाद के मुद्दे पर तो राजनीतिक दल अपना-अपना राजनीतिक हित नहीं साधकर देश हित के लिए एकसाथ हैं, लेकिन तभी ये भ्रम टूटने लगा। खुशफहमी दूर होने लगी। हमारे नेताओं का राजनीतिक खून जोर मारने लगा था। सत्ताधारी दल के लोग अपनी पीठ थपथपाने लगे। सेना की बहादुरी के जरिये पीएम मोदी के सीने की चौड़ाई बढ़ाने, बताने लगे थे। ट्विटर की 140 शब्दों की दुनिया से लेकर सड़क पर बड़े-बड़े हॉर्डिंग लगाकर ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जाने लगी जैसे सेनिकों ने नहीं, इन्ही नेताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर एलओसी पार की थी। रक्षा मंत्री जी आगरा से लेकर लखनऊ तक सम्मान प्राप्त करने में जुटे थे।राजनीति का जवाब तो राजनीति से ही दिया जाता है, वही हुआ भी। एक राजनीतिक युद्ध शुरू हुआ। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो जारी कर पीएम और सेना को सैल्यूट किया, लेकिन साथ ही शब्दों से खेलते हुए सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देने की मांग कर डाली थी।इधर, बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए केजरीवाल पर आरोप लगाया था कि वो सबूत मांग कर पाकिस्तान के झूठे प्रचार को प्लेटफॉर्म दे रहे हैं। पाकिस्तान को प्रोपेगेंडा को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। सेना पर शक कर रहे हैं। सैनिकों की बहादुरी, वीरता, शौर्य का अपमान कर रहे हैं, हालांकि आम आदमी पार्टी ने सफाई दी कि उन्होने कभी सबूत नहीं मांगे। उन्होने सिर्फ पाकिस्तान का मुंह बंद करने की मांग की है, लेकिन मानना है कि अगर पाकिस्तान का मुंह हम बंद नहीं भी करते हैं, वो लगातार भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को झूठ बताता भी रहता है, तो उससे क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि उसकी आवाज़ को तो कोई तवज्जो ही नहीं दे रहा है, वैसे भी सबूत कमजोर लोग देते हैं, ताकतवर नहीं।खैर, खुद को पिछड़ता देख कांग्रेस भी इस खेल में कूदी थी, कांग्रेस के अति-उत्साहित नेता संजय निरूपम ने आम आदमी पार्टी से दो कदम आगे बढ़ते हुए सीधे-सीधे सर्जिकल स्ट्राइक को ही झूठा करार दे दिया था, साथ ही बोला अगर किया है तो सबूत दिखाओ। इसके बाद काफी बवाल हुआ। कांग्रेस और संजय निरूपम की काफी किरकिरी हुई।
इसके साथ ही कांग्रेस को याद आया कि इस तरह का सर्जिकल स्ट्राइक पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी कई बार सर्जिकल स्ट्राइक हुए हैं. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी सर्जिकल स्ट्राइक हुए थे, लेकिन जिस तरह से वे अपने कार्यकाल में हुए घोटालों पर चुप थे, उसी तरह वो इस सर्जिकल स्ट्राइक पर भी चुप रहे, और इस तरह के गर्व के पल से देश को 70 साल तक महरूम रखा।इसके बाद बारी थी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की। उन्होने अपनी किसान यात्रा के अंत में पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि मोदी जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं, हालांकि इससे कांग्रेस को कितना फायदा हा और बीजेपी को कितना नुकसान ये तो पता नहीं. लेकिन इससे कुतर्कों का दौर शुरू हो गया था पलटवार करते हुए तत्कालिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल के डीएनए पर ही सवाल खड़े कर दिये थे। इसके जवाब में कपिल सिब्बल मीडिया के सामने आये और फिर से दावा किया कि कांग्रेस के जमाने में भी सर्जिकल स्ट्राइक हो चुके हैं। मोदी सरकार झूठा प्रचार कर रही है, अमित शाह को क्रिमिनल करार दे दिया गया और बीजेपी को जैश-ए-मोहम्मद का जनक।
अपनी पार्टी और अध्यक्ष पर किये गये हमले का जवाब देने और कांग्रेस की आलोचना के लिये सामने आये रविशंकर प्रसाद और उनकी तर्कों को काटने के लिये रणदीप सुरजेवाला मीडिया के सामने आये थे। दोनों ने एक दूसरे के दावों को खोखला बताया, किसके दावों में कितना दम है, ये तो दोनों पार्टियां जानें।
हम तो सिर्फ इतना जानते हैं कि 29 सितंबर को शौर्य के साथ शुरू हुई कहानी पर बयानवीरों ने राजनीतिक कालिख, कीचड़ पोत दी। राजनीतिक दलों से अपील की है जवानों के कंधों पर देश की सुरक्षा करने वाली बंदूक ही रहने दें। सेना के कंधे पर अपनी राजनीति की बंदूक रखकर नहीं चलाएं, हालांकि अपनी आदत से मजबूर राजनेताओं से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है।