राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरे IPS जीपी सिंह को मिली बड़ी राहत, CAT ने दिए बहाली के आदेश

रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्‍तीसगढ़ के आइपीएस जीपी सिंह  को बड़ी राहत मिली है। कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्‍याधिकरण) ने आइपीएस जीपी सिंह से जुड़े सभी मामले को निराकृत कर बहाल करने के आदेश दिए हैं। बतादें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1994 बैच के आइपीएस जीपी सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।छत्‍तीसगढ़ सरकार की सिफारिश के लगभग 10 महीने बाद यानि जुलाई 2023 में गृह मंत्रालय ने बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी थी। राज्य सरकार के खिलाफ षड्यंत्र और आपराधिक मामलों को आधार मानते हुए कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था कि दागी अफसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपित वर्ष 2022 में जीपी सिंह को गिरफ्तार किया गया था।उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया था। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ से अधिक के संपत्ति का ब्यौरा मिला था। इसके साथ ही सरकार गिराने की साजिश पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था।5 जुलाई 2021 को राज्य सरकार ने जीपी सिंह को निलंबित किया था। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में यह पहले आइपीएस अधिकारी रहे, जिनकी गिरफ्तारी हुई और सरकार ने बर्खास्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखी थी।

कौन है  IPS जीपी सिंह?

आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह यानी की जीपी सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के 94 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।आईपीएस जीपी सिंह ने अपना प्रशिक्षण ग्वालियर, मध्य प्रदेश में शुरू किया और एमपी के विभिन्न जिलों में तैनात रहने के बाद साल 1998-1999 में जिला इंदौर के अतिरिक्त एसपी के रूप में चुने गए।एडिशनल एसपी सिटी, इंदौर, मध्य प्रदेश के रूप में, आईपीएस जीपी सिंह ने कई संवेदनशील इलाकों में कई सांप्रदायिक स्थितियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।आपको बता दें कि आईपीएस जीपी सिंह ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई बहादुरी वाले कारनामे किए हैं।आईपीएस जीपी सिंह छत्तीसगढ़ ने एक नक्सली शिविर पर छापा मारा था। अपने बेदाग पेशेवर ट्रैक रिकॉर्ड के कारण आईपीएस जीपी सिंह छत्तीसगढ़ को 2004 के लोकसभा चुनावों में भारत के चुनाव आयोग द्वारा एसपी महासमुंद (2004-2005) के रूप में चुना किया गया था।

कैसे हुए बर्खास्त?

जानकारी के अनुसार, एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जुलाई 2021 में जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले समेत राजनादगांव और ओड़िसा के 15 जगहों पर छापामारी की थी।जिसमें 10 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति के साथ ही कई दस्तावेज मिले थे। छापे से मिली संपत्ति के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की थी।इसके बाद सरकार ने 5 जुलाई 2023 को उन्हें सस्पेंड कर 8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।राज्य सरकार की सिफारिश के लगभग 10 महीने बाद गृह मंत्रालय ने बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी थी।लेकिन अब उन्हें बड़ी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने बड़ी राहत दी है। कैट ने सभी मामलों को निराकरण कर फिर से बहाली का आदेश दिया है।

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