सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का? : संकुल समन्वयक की पत्नी को मिलती हैं इस स्कूल में वाक ओवर।



स्कूल के उपस्थिति पंजी में 4 दिन लगातार नदारत रहने के बावजूद 5वे दिन उपस्थित होकर बाकी के 4 दिनों की उपस्थिति दर्ज करने में कोई दिक्कत नही होती।

पांडुका/गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। यदि उनके पद-रसूख की आड़ में उनकी मैडमें अपनी हर दमित इच्छा-आकांक्षा पूरी कर लेना चाहती हैं, तो भी वह किस काम का, क्योंकि इसके लिए उन्हें अपनी गरिमा,अपनी मर्यादा, मान-सम्मान गवाना पड़ रहा है और बेशर्मी अपनाकर अपनी आत्मा गिरवी रखनी पड़ रही है।वैसे तो घर-परिवार के प्रबंधन की जिम्मेदारी सदियों से महिलाएं बखूबी संभालती और निभाती आ रही हैं। तथापि पिछले कुछ दशकों से वह घर की दहलीज लांघकर विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बहुत अच्छी तरह निभा रही हैं। इसके अलावा, घर हो या बाहर, हर जगह पुरुषों की नकेल भी पूरी तरह महिलाओं के ही हाथों में होती है, यह भी सही है।व्यक्ति की व्यक्तिगत गरिमा उसके कृतित्व पर निर्भर होती है। परंतु जहां बात पद की गरिमा की आती है, वह सामाजिक हो या प्रशासनिक, वहां थोड़ी-बहुत नैतिकता और शुचिता का भान रखना अनिवार्य हो जाता है। यह भान स्त्री-पुरुष दोनों को ही अपने-अपने तौर पर रखना पड़ता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि एक की मर्यादा जाती है, तो दूसरे की अपने आप चली जाती है।गौरतलब हो कि इन दिनों शिक्षा विभाग में संकुल समन्वयक की पत्नी ने सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का जुमले को पूरी तरह से चरितार्थ कर दिखाया है।बताना लाजमी होगा किछुरा विकासखण्ड में शिक्षा का स्तर इतना बदहाल हो गया है।कि  जिला में बैठे जिम्मेदारों को इसकी जरा भी भनक नही लगती।वंही केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा लाखो खर्च कर शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शाला प्रवेश उत्सव व स्कूल चले, हम सहित बेटी बढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे कई जनकल्याणकारी योजनाओं व जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद भी जिम्मेदार शिक्षक अपनी लापरवाही को लेकर चर्चा में है।मामले में पड़ताल करने पर स्कूल दस्तावेज से पता चला कि संकुल केंद्र पांडुका के अधीनस्थ विद्यालय शासकीय नवीन प्राथमिक शाला नवाडीह पांडुका के शिक्षिका श्रीमती कुसुम साहू दिनांक 11 जुलाई से लेकर के 14 जुलाई 2022तक लगातार विद्यालय में अनुपस्थित रही। अनुपस्थित शिक्षक 15 जुलाई को  शाला में उपस्थित होकर बिना कुरेज के बकायदा 11 और 12 जुलाई का आकस्मिक अवकाश व 13 और 14 जुलाई को अपनी नियमित रहने का उपस्थिति दर्ज कर हस्ताक्षर करती है इस प्रकार वह अपनी उपस्थिति दर्ज करा लेती है। यह स्थिति संकुल समन्वयक की पत्नी होते हुए भी छुरा विकासखंड में देखने को मिल रहा है जिस पर प्रधान पाठक का कहीं ना कहीं उनके ऊपर संकुल समन्वयक का दबाव होने के कारण से ऐसा माहौल निर्मित हुआ होगा शंका को जन्म देती है यह गोरख  धंधा संकुल समन्वयक संतोष साहू संकुल केंद्र पांडुका के अधीनस्थ शाला शासकीय नवीन प्राथमिक शाला नावाडीह का है । संकुल समन्वयक का दायित्व स्कूलों का निरीक्षण करना एवं डाक आदान-प्रदान करना तथा उच्च कार्यालय से विद्यालय स्तर के बीच में समन्वय स्थापित करना है किंतु संकुल समन्वयक और प्रधान पाठक के बीच ऐसा क्या रिश्ता है की संकुल समन्वयक की पत्नी को 4 दिन में से 2 दिन हस्ताक्षर करने को मिल जाता है यह एक जांच का विषय है जिसे विकासखंड स्तर पर सघन रूप से मॉनिटरिंग नहीं होने की स्थिति को दर्शाता है यह पूरे विकासखंड में ऐसी स्थिति होती होगी कहने को शिक्षा विभाग एक बार फिर कठघरे पर नजर आ रही है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार

के. एल.मतावले विकाशखण्ड शिक्षा अधिकारी छुरा से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि जांच दल गठित कर मामले की जांच करवाई जाएगी मामला सही पाए जाने पर दोषी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही की जावेगी।

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