वर्षों के बाद दिखा विलुप्त होते प्रवासी पक्षी सारस क्रेन कोताहुल का बना विषय

लखनपुर और कुंवरपुर के मध्य खेतों में दिखा तीन प्रवासी पक्षी सारस क्रेन के साथ एक बच्चा

सितेश सिरदार
लखनपुर (गंगा प्रकाश)।
लखनपुर में काफी वर्षों बाद सारस क्रेन प्रवासी पक्षी दिखा जिसे देखकर लोगों में काफी उत्साह नजर आ रहा है।यह प्रवासी सरस क्रेन पक्षी लखनपुर और कुंवरपुर के मध्य खेतों में लगे धान फसल के बीच देखा गया है ।
जिसे देखकर क्षेत्र के लोगों मे काफी उत्साह है। और प्रवासी पक्षियों के आने से खुशी का भी इजहार किया है। लखनपुर क्षेत्र में प्रवासी पक्षी सारस क्रेन विगत दस वर्षों से विलुप्त हो गए थे इससे पूर्व लगातार सारस क्रेन प्रवासी पक्षी का आना-जाना लगा रहता था।सारस क्रेन प्रवासी पक्षी एक जोड़ा एक बच्चा भी साथ में देखा गया है जिसे देख आसपास के लोग काफी उत्साहित दिख रहे हैं। पूर्व में वन विभाग के द्वारा प्रवासी पक्षी सारस क्रेन के रहने के लिए जगह निर्धारित किया गया था। और लगातार उक्त स्थान पर सारस क्रेन पक्षी आते जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे। लखनपुर के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष विश्वनाथ गुप्ता के द्वारा नगर पंचायत का प्रतीक चिन्ह सारस क्रेन बनाया गया था उन दिनों काफी इनका प्रचलन एवं देखरेख भी उनके माध्यम से किया जा रहा था। यह जमीन में उड़ने वाला सबसे बड़ा पक्षी है। सारस क्रेन पक्षी 8 फीट तक अपने पंखों को फैला सकता है. इसीलिए इसे धरती पर उड़ने वाला सबसे बड़ा पक्षी माना जाता है. यदि सारस की प्रजातियों की बात करें तो दुनिया भर में इनकी आठ प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें सबसे ज्यादा चार भारत में हैं. कुछ प्रजातियां विलुप्त हो चुका है तो कुछ विलुप्ति की कगार पर है।

सारस पक्षी क्या खाते हैं।

सर्वाहारी हैं, कीड़े (विशेष रूप से टिड्डे), जलीय पौधे, मछली (शायद केवल कैद में), मेंढक, क्रस्टेशियंस और बीज खाते हैं। कभी-कभी पानी के सांपों (फाउलिया पिस्केटर) जैसे बड़े कशेरुक शिकार से निपटने के लिए, सारस क्रेन दुर्लभ मामलों में पक्षियों और कछुओं के अंडे खा सकते हैं।

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