
अंचल में रबी फसल से बचे अवशेषों को खेतों में जलाए जाने से पर्यावरण के साथ साथ राहगीरों को भी हो रही परेशानी, प्रशासन पराली जलाने पर करें सख्त कार्यवाही
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। रबी फसल की कटाई और खरीफ फसल की तैयारी के चलते इन दिनों इस अंचल के गांव गांव में रबी कटाई से बचे अवशेषों पराली को जलाने का जमकर सिलसिला चल रहा है। इससे निकलने वाले धुओं से जहां पर्यावरण का नुकसान होता है वहीं राह चलते लोगों का आवागमन दूभर हो जाता है राहगीरों की आंखे जलने लगती है और नवतपा की इस भीषण गर्मी में पराली के जलती आंच एवं हवा के चलने से कभी भी गंभीर दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। फिंगेश्वर के चारों तरफ आने जाने वाले मुख्य सड़कों के किनारे इन दिनों लंबे लंबे रकबो में भारी मात्रा में फसल के बचे अवशेषों को जलाने खेतों में आग लगाई जा रही है। सुखे फसल के अवशेषों में आग तेजी से फैलती है जिससे मुख्य सड़क में आना जाना काफी मुश्किल बन जा रहा है। फिंगेश्वर से बोरसी-किरवई रास्ता, इधर नहर नाली से बेलर मार्ग, बोरसी से बासीन मार्ग, बोरसी से कौंदकेरा राजिम मार्ग, फिंगेश्वर से रोबा-पाली-पसौद मार्ग, फिंगेश्वर से बोरिद-मुड़ागांव मार्ग आदि चारों तरफ के अनेकों गांव जाने वाली मुख्य सड़कों के दोनो तरफ पराली जलाई जा रही है। सैकड़ो एकड़ो की पराली जलने से इन मार्गो में आवागमन कष्ट भरा एवं जोखिम के साथ दुर्घटना जन्य हो गया है। मुख्य सड़कों से प्रशासनिक अधिकारी भी आना जाना करते है। पलारी जलाना जुर्म की श्रेणी में आता है। राजस्व विभाग के अधिकारियों को इस प्रकार पराली जलाने वाले कृषि भूमि के मालिकों पर जुर्म दर्ज करने के आदेश है। परंतु अधिकारियों द्वारा ऐसे मामलों में चुप्पी के कारण लोगों के हौसले बुलंद है। और इन दिनों रोज दिन रात 24 घंटे पलारी जलते जगह जगह देखा जा सकता है। इससे खेतों की उर्वरक क्षमता भी कम हो रही है वहीं प्रदूषण भी बढ़ रहा है। रबी फसल के पूर्व कटाई के समय गांव गांव में मुनादी द्वारा पराली न जलाने की अपील भी प्रशासन द्वारा की गई है। परंतु इसका कोई असर पलारी जलाने वालों पर नहीं दिख रहा है। पराली जलाने से होने वाले नुकसान एवं परेशानी को देखते हुए राजिम विधायक ने भी प्रेस के माध्यम से कृषकों से पराली न जलाने की अपील की है, परंतु इसका भी कृषकों को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। अभी अनेक किसानों द्वारा रबी फसल की जा रही है। अब भी प्रशासन कुछ सक्रियता एवं सख्ती करती है तो पराली जलाने की होने वाली अनेक गतिविधियों में अंकुश लग सकता है। इधर कृषक धान कटाई मिंजाई के बाद धड़ल्ले से पराली जला रहे है और उधर अंचल में पशुओं के चारे का अभाव बना हुआ है। प्रशासन को इस ओर तत्काल कार्यवाही कर पराली जलाने में सख्ती बरत कर खेतों में पड़े अवशेषों को जानवरों के लिए सुरक्षित रखने योजनाबद्ध ढंग से कार्यवाही किए जाने की जरूरत है। इससे पराली जलाने से होने वाले अनेक नुकसानों से बचा जा सकेगा वहीं जानवरों के चारे की भी व्यवस्था हो पाएगा। जिला प्रशासन से इस बारे में तत्काल कार्यवाही की अपेक्षा अंचलवासियों ने की है।