
रात होते ही आश्रम शाला में हो जाता है अंधेरा
एक शिक्षक के भरोसे 70-80 बच्चे
गर्मी से बचने के लिए दिन भर वृक्ष की छाया में गोबर लीप कर चटाई में बैठे रहते हैं बच्चे
संजय सिंह भदौरिया
सुकमा (गंगा प्रकाश)। सुकमा जिला के छिन्दगढ़ ब्लाक अन्तर्गत संचालित 100 सीटर बालक आश्रम शाला गुम्मा में अध्ययनरत छात्रों की शैक्षणिक व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है विगत कई वर्षो से समस्याओं से छोटे छोटे बच्चे जूझ रहे है
एक भी कमरे में नहीं है पंखा
अव्यस्थाओ का आलम यह है कि आश्रम शाला के एक भी कमरे में पंखे तक नहीं है, आश्रम में छत पर टिन का सीट से लगाया गया है जिससे उमस व गर्मी से कमरे गर्म रहते है,
जर्जर हो चुके हैं खिड़की,दरवाजे
आश्रम शाला की खिड़कियाँ व दरवाजे टूटे हुए है, यहाँ के शौचालय भी जर्जर अवस्था में है
गड्डा,चादर का है अभाव

बच्चो के शयन की बात की जाए तो आश्रम शाला में न पर्याप्त गद्दा है और नहीँ पर्याप्त चादर है,बच्चे इतनी विषम परिस्थितियों में रहते है परंतु जिम्मेदारों को किसी प्रकार की चिंता नहीं है
रात में रहता है अंधकार
बिजली की बात करें तो इस आश्रम शाला में बिजली का कनेक्शन तक नहीं ,जो थोड़ी बहुत बिजली है वह सोलर प्लेट के माध्यम से मिलती है और रात होते ही आश्रम शाला में अंधकार छा जाता है, रात भर बच्चे परेशान होकर सो नहीं पाते हैं।
पानी की है बेहद कमी
पानी की कमी यह आलम है कि बच्चे नहाने हेतु नदी व नाले में जाते हैं जिसकी वजह किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है वैकल्पिक रूप से पानी की व्यवस्था के रूप में 300 मीटर दूरी से पानी लाया जाता है, जो अपर्याप्त मात्रा में होता है वस्तुतः स्तिति यह है कि पानी की समस्या से छात्र परेशान रहते है ।

एआईएसए ने लिया जायजा कहा आबंटित राशि का हो रहा दुरुपयोग
आल इंडिया स्टूडेन्टस् फेडरेशन ने छात्रों की स्तिथि की जानकारी ली जिसमें बालक आश्रम शाला अव्यवस्थाओं से भरा पाया गया व छात्रों ने अपनी समस्या बताई जो बेहद गंभीर है।जहाँ जिम्मेदार अधिकारी पहुंचते ही नहीं है एक मात्र शिक्षक है जो अधीक्षक के रूप में पदस्थ है, 70 -80 बच्चे रहते हैं। एआईएसएफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा के नाम से करोड़ो रुपयों का शासन के द्वारा आबंटन किया जाता है इन पैसो का प्रशासन दुरूपयोग कर रहा है।

नक्सलवाद का बहाना बना के अधिकारी करते हैं अनदेखा
एआईएसएफ ने यह भी कहा कि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित से बाहर है किसी प्रकार की परेशानी नहीं परन्तु जिम्मेदार अधिकारी नक्सलवाद का बहाना बना कर इन क्षेत्रों का दौरा नहीं करते है और भगवान भरोसे छोड़ दिया है।