दोष सिद्ध होने के बावजूद भ्रष्ट अफसरों को उसी पद पर बिठाए रखना कहाँ तक न्यायोचित है-दीपिका

सुकमा(गंगा प्रकाश)। यूँ तो सुकमा जिले में कमीशनखोरी आम बात हो चुकी है परंतु जिन अफसरों पर कमीशनखोरी का आरोप सिद्ध हो चुका है उन्हें उसी पद पर बिठाए रखना कहाँ तक न्यायोचित है यह कहना है भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिका शोरी का

दरअसल पूरा मामला सुकमा जिले के जिला कोषालय अधिकारी व सहायक जिला कोषालय अधिकारी पर कमीशनखोरी के चक्कर मे जबरन देयक फाइलों पर आपत्ति दर्ज करने का है जिस खण्ड शिक्षा अधिकारी  छिंदगढ़ एवं उप संचालक पशुधन विकास विभाग सुकमा के द्वारा विधिवत शिकायत करने का है इस विषय पर विज्ञप्ति जारी कर दीपिका ने कहा कि

जिला कोषालय अधिकारी प्रवीण चंद्र भगत और सहायक कोषालय अधिकारी भोजराज भुआर्य के खिलाफ देयकों पर नियम विरूद्ध आपत्ति एवं पारित करने के एवज में अवैध राशि की मांग किए जाने की शिकायत लगातार आ रही थी चूंकि मामला जिला कोषाध्यक्ष से सम्बंधित था जिसके कारण कोई हिम्मत नहीं कर पा रहा था परन्तु जब लगातार अवैध राशि की मांग की गई तब उपसंचालक पशुधन विभाग एवं बीईओ छिंदगढ़ ने इस विषय में संयुक्त संचालक कोषालेखा एवं पेंशन को की जिस पर टीम गठित कर जांच की गई व दोनो ही अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाई गई है व संभागीय स्तर पर गठित तीन सदस्य टीम ने जांच में इस शिकायत को पूर्णतः सत्य बताया है ।  साथ ही जांच प्रतिवेदन में इन भ्रष्ट अधिकारियों को तत्काल स्थानांतरण हेतु भी लिखा है सिर्फ यही नहीं पुलिस अधीक्षक सुकमा कार्यालय के भी कुछ कर्मचारियों ने इस विषय में जांच के दौरान ही शिकायत की है,मैं शासन से पूछना चाहती हूं कि जब इन भ्र्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध जांच में सभी आरोप सिद्ध हो गया है तो इनपर किसके कहने पर कार्यवाही नहीं हो रही है आज भी शासन इनपर इतना मेहरबान क्यों है

जबकि जिला कोषालय में आज भी वही स्तिथि है उक्त भ्रष्ट अफसरों के द्वारा अब भी देयकों को अनावश्यक आपत्ति लगाई जा रही है ।

जबकि जांच अधिकारियों ने छग सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन मानते हुए विभागीय जांच संस्थित किये जाने की अनुशंसा की है ।मेरी छत्तीसगढ़ शासन से मांग है कि उक्त दोनों भ्रष्ट अधिकारियों को तत्काल निलम्बित करते हुए पद का दुरुपयोग करने व अवैध काला धन उगाही के तहत कार्यवाही करते हुए इन्हें जेल भेजा जाए व इनकी कुल अर्जित सम्पत्ति की भी जांच हो जिससे अन्य भ्रष्टाचारी अधिकारी भी ऐसे कृत्य करने से पहले अंजाम से डरें

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