

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जगन्नाथपुरी (गंगा प्रकाश)। हर साल उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को देश और दुनियां में विख्यात इस भव्य यात्रा का आयोजन होता है। रथयात्रा उत्सव केवल भारत ही नही बल्कि दुनियाँ के सबसे विशाल और महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है। इसी कड़ी में आज रथयात्रा का मुख्य आयोजन उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी में संपन्न हुआ। इस रथ यात्रा में भाग लेने के लिये देश-विदेश से भक्तगण एवं साधु संत जगन्नाथपुरी पहुँचकर मनमोहक दर्शन यात्रा का आनंद लेते नजर आये। शासन प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे। कई कंपनियों के शस्त्र सुरक्षा सैनिक जगह जगह तैनात रहे। श्री जगन्नाथ मंदिर से यह यात्रा अनन्त श्रीविभूषित गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज और पुरी नरेश गजपति की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ। बड़े-बड़े तीन रथ सज-धज कर तैयार थे जिन्हें मोटी-मोटी रस्सियों से भक्त खींचते रहे। रथ यात्रा में सबसे पहले बलभद्र जी तालध्वज रथ में , उसके बाद बीच में बहन सुभद्रा जी दर्पदलन (जिसे पद्मा रथ भी कहा जाता है) रथ में और अंत में जगन्नाथ जी जिनके रथ का नाम नंदीघोष या गरुड़ध्वज है चल रही थी। हर साल की भांति जगन्नाथ यात्रा के दौरान पुरी नरेश रथयात्रा से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध रस्म छेरा पहरा के तहत सोने की झाड़ू से रथों के चारो ओर स्वयं झाड़ू लगाते नजर आये। शंकराचार्य द्वारा स्थापित आदित्य वाहिनी सेना इस रथयात्रा में नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रही थी। तिरपन साल बाद इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी , इससे पहले 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी। जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ दो शुभ योग में हुआ , आज रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग हैं। आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, पुष्य नक्षत्र, हर्षण योग, बालव करण, पश्चिम का दिशाशूल, रविवार दिन और कर्क राशि का चंद्रमा है। रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग दोनों ही अत्यंत शुभ योग हैं , इन दो शुभ योग में जगन्नाथ रथ यात्रा प्रारंभ हुआ। इस रथयात्रा को जगन्नाथ मंदिर से निकालकर सूर्यास्त होने पर बीच में ही रोक दिया गया है , क्योंकि रथ को सूर्यास्त तक ही खिंचा जाता है। रथों पर ही भगवान का नित्य पूजन संध्या आरती , भोग और शयन आरती संपन्न हुआ फिर सोमवार सुबह से रथ खींचे जायेंगे और शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंचकर भगवान विश्राम करेंगे तथा दशमी तिथि को पुन: जगन्नाथ मंदिर आयेंगे। बताते चलें इस जगन्नाथ रथयात्रा में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन माझी , पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक , राज्यपाल रघुबर दास और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्य जगन्नाथ रथ को जोड़ने वाली रस्सियों को खींचकर प्रतीकात्मक रूप से इस यात्रा की शुरुआत करते हुये भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद ली। गौरतलब है कि जगन्नाथ मंदिर जो भगवान जगन्नाथ को समर्पित हिन्दुओं के चार पवित्रतम धामों में से एक है, समुद्र तट पर भुवनेश्वर से 60 कि.मी. की दूरी पर है। 12वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। यहां भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बल्लभ के साथ विराजमान हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा करते हैं तो हिमालय की ऊँची चोटी बद्रीनाथ धाम में स्नान, पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र धारण, पुरी में भोजन और दक्षिण में रामेश्वरम में विश्राम करते हैं। पद्म पुराण के अनुसार श्री जगन्नाथ के अन्न भक्षण से सबसे अधिक पुण्य मिलता है।
सीएम माझी ने लिया शंकराचार्य से आशीर्वाद
उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने रथयात्रा के पावन अवसर पर श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी पहुंचकर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उनके साथ उपमुख्यमंत्री सहित कई मंत्री , विधायक और जनप्रतिनिधि भी पहुंचे हुये थे।