सत्य पथ के प्रदर्शक होते हैं गुरु- के.आर. सिन्हा

आदर्श विद्यालय में मनाया गया गुरु पूर्णिमा उत्सव

छुरा (गंगा प्रकाश)। जगद्गुरु देवाधिदेव महादेव के अति प्रिय सावन के पावन महीने के प्रथम दिवस गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के अतिथि सेवानिवृत्ति व्याख्याता के. आर. सिन्हा,  सेनि प्रधानपाठक एस.आर. निषाद, सेनि  शिक्षक बी.एल. तारक, सी.आर. सिन्हा और शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अध्यक्ष संतराम साहू द्वारा विद्या की अधिष्ठात्री वीणापाणी मां शारदे की पूजा अर्चना कर उत्सव का श्रीगणेश किया गया। आदर्श विद्यालय के बच्चों के द्वारा लंबे अरसे तक ज्ञान के प्रकाश पुंज से अंचल को आलोकित करने वाले गुरुओं का अक्षत, कुमकुम, रोली, चंदन से स्वागत किया गया। सभी गुरुओं का चरण वंदन कर अंग वस्त्र एवं श्रीफल भेंट किया गया। संचालन कर रहे वरिष्ठ शिक्षक एम.आर. देवांगन ने गुरु शिष्य परंपरा पर प्रकाश डालते हुए गुरु पूर्णिमा की महत्ता का बखान किया। उन्होंने कहा कि वेद, उपनिषद, श्रीमद् भगवत गीता, महाभारत जैसे महाकाव्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास का अवतरण भी आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था जिसके कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। 44 वर्षों की लंबी अवधि तक शिक्षादान कर सेवा से अवकाश प्राप्त किए व्याख्याता एवं शिक्षाविद के.आर. सिन्हा ने सुंदर पंक्तियों के साथ गुरु महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु बिना ज्ञान, ध्यान, योग, सहयोग, संगीत, कला, आध्यात्मिक सफलता नहीं मिल सकता। गुरु, सत्यपथ के प्रदर्शक होते हैं। अपने बाल्यकाल का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे गांव में दो अनपढ़ व्यक्ति थे जो महाविद्यालय में भृत्य का काम करते थे। प्रतिदिन महाविद्यालय में अंग्रेजी के कुछ-कुछ शब्द सुनते और शाम को खेल-खेल में मुझे उसका उच्चारण कराते थे। सही मायनों में जीवन का ककहरा उन्हीं से सीखा। उन्होंने कहा की लगन से मेहनत करने पर सफलता अवश्य मिलता है। सेनि प्रधानपाठक एस.आर. निषाद में त्रेतायुग की घटना के माध्यम से महर्षि नारद द्वारा पृथ्वी लोक के एक आम व्यक्ति निषाद राज को गुरु बनाने की सुंदर कथा द्वारा गुरु को भवसागर से पार लगाने वाला संत बताया। सेनि शिक्षक सी.आर. सिन्हा ने वर्तमान शिक्षा पद्धति और प्राचीन गुरुकुल विद्या पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थी जीवन को याद करते हुए अपने गुरुओं को नमन किया। सेनि शिक्षक बी.एल.तारक ने कहा कि गुरु चरणों की धूल को नमन कर गुरु के बताए मार्ग पर चलने से जीवन सफल हो जाता है। दृढ़ निश्चय, निष्ठा एवं परिश्रम के साथ गुरुओं का आशीष सफलता के शिखर तक ले जाता है। वरिष्ठ शिक्षक एम.एल. सेन ने चिर परिचित अंदाज में कहा कि जीवन का मर्म जो सिखलाए, सत्य का मार्ग जो दिखलाए, ईश्वर अंश वही गुरु कहलाए। शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अध्यक्ष संतराम साहू ने कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि इसी विद्यालय में आपही के जैसे मैंने भी इन्हीं गुरुओं के आशीष से विद्यार्जन किया है। विद्यार्थियों से कहा कि सदैव विनम्र रहे और अपने गुरुओं का सम्मान करें। बच्चों ने भी गीत, कविता, भाषण द्वारा अपने गुरुओं को नमन किया। कार्यक्रम में सहायक जिला परियोजना अधिकारी बुद्धविलास सिंह एवं विकास खंड शिक्षा अधिकारी के.एल. मतावले भी उपस्थित होकर उत्साहवर्धन किए। गुरु पूर्णिमा उत्सव में शिक्षक उमेश कुमार ढीढी, अर्जुन धनंजय सिन्हा, चंद्रभूषण निषाद, सुशील कुमार पांडे, शीतल चंद्राकर, करुणा वर्मा, पीली बाई, प्रोतिमा शर्मा, कविता पटेल, रुक्मणी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

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