
06 अगस्त 2018 को हुई थी नुलकातोंग पुलिस नक्सली मुठभेड़
नक्सलियों द्वारा 06 अगस्त को नुलकातोंग में अपने मददगारो के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित कर मृत नक्सलियों बताया गया था ग्रामीण
सुरक्षाबलो को बदनाम करने व आमजन बुद्धिजीवियो तक गलत जानकारी पहुंचाने की नक्सली साजिश
नूलकातोंग मुठभेड़ में मारे गये सभी 15 नक्सली को नक्सली पत्रिका “ जनपितूरी ” में नक्सलियों ने माना अपना कामरेड
पुलिस अधीक्षक सुकमा द्वारा पूर्व में भी नक्सलियों के अपने मारे गये नक्सलियों को ग्रामीण बताने की नक्सली नई रणनीत का किया था खुलाशा
संजय सिंह भदौरिया
सुकमा (गंगा प्रकाश)। पुलिस अधीक्षक सुकमा सुनील शर्मा ने प्रेसनोट के माध्यम से मीडिया को बताया कि 06 अगस्त 2018 को जिला सुकमा के थाना भेजी अंतर्गत ग्राम नुलकातोंग में सुरक्षाबलों व नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 15 नक्सली संगठन सदस्य मारे गये थें । 06 अगस्त 2022 को मुल आदिवासी बचावो मंच के माध्यम से नुलकातोंग गांव में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम में ग्रामीणों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से घटना में मारे गये नक्सलियों को निर्दोश ग्रामीण बताया जा रहा हैं । इस कार्यक्रम को 06 अगस्त / 2022 से 09 अगस्त 2022 के मध्य विभिन्न सोशलमीडिया चैनल द्वारा चलाया गया था जो विडियो के माध्यम से पुलिस के संज्ञान में आया । यूट्यूब चैनल में प्रसारित मुख्य अंश का विडियो क्लीप पुलिस अधीक्षक सुकमा द्वारा शेयर करते हुये बताया कि यह सब सुरक्षाबलो को बदनाम करने की नक्सली साजिश हैं ।

नक्सलियों ने अपनी पत्रिका जनपितुरी मृत नक्सलियों को माना अपना साथी
पुलिस अधीक्षक सुकमा द्वारा इसकी पुष्टि करते हुये बताया दक्षिण बस्तर डिवीजन जनताना त्रैमासिक पत्रिका जनपितूरी अंक अक्टूबर 2018 अप्रेल 2019 में नक्सलियों द्वारा घटना में मारे गये नक्सलियों को अपने संगठन का साथी मानते हुये कामरेड की संज्ञा दी गई हैं । पत्रिका में नुलकातोंग घटना में मारे गये सभी नक्सलियों का जीवनवृत गोंडी भाषा में लिखा गया हैं जिसमें मारे गये नक्सलियों के गांव , परिवार , संगठन में कब शामिल हुये , किस – किस पद पर सम्मिलित रहे आदि का वर्णन हैं । इस नक्सली जनपितूरी पत्रिका में नक्सलियों द्वारा मारे गये 15 नक्सलियों में से उपलब्धता अनुसार नक्सलियों के जीवनवृत फोटो सहित व 07 नक्सलियों के केवल नाम का उल्लेख किया गया हैं 1 नक्सली के नाम का उल्लेख नहीं हैं । पुलिस अधीक्षक द्वारा इस पत्रिका के उक्तानुसार मुख्य अंश मीडिया को सांझा किया गया हैं
उक्त तथ्यों से स्पष्ट हैं कि घटना में मारे गये नक्सली थे ना कि ग्रामीण इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय हैं कि नक्सली संगठन अपने नक्सली साहित्यों में केवल अपने मारे गये नक्सलियों को ” कामरेड ” की संज्ञा देते हैं ना की किसी ग्रामीण को ? पुलिस अधीक्षक सुकमा द्वारा नुलकातोंग मुठभेड़ में मारे गये उक्त नक्सलियों में से 1 नक्सली मडकम टिंकु का जनपितूरी पत्रिता में उल्लेखित अनुसार जीवनवृत जोकि गोंडी भाषा में लिखा हैं उसका हिन्दी रूपांतरण मीड़िया को दिया हैं जिसमें स्पष्टतः लिखा हैं कि मडकम टिंकु किस प्रकार नक्सली संगठन में शामिल हुआ व किस – किस स्तर पर संगठन में कार्यरत रहा

कैम्पों के विस्तार से नक्सलवाद को लगा है झटका
पुलिस अधीक्षक सुकमा ने बताया कि गोपनीय सूत्रों से लगातार सूचनाये मिल रही थी कि बस्तर संभाग सहित सुकमा जिले में शासन की मंशा के तहत सुरक्षा के साथ – साथ विकास की अवधारणा के तहत कैम्पो के लगातार विस्तार व अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्य होने से नक्सली संगठन को धक्का पहुंच रहा हैं उनके आधार क्षेत्र लगातार कम हो रहे हैं इसलिए केन्द्रीय कमेटी स्तर पर नक्सलियों द्वारा सिलगेर कैम्प खुलने के बाद राजनीतिक लडाई लड़ने का निर्णय किया गया हैं इसके लिए दबावपूर्वक अलग – अलग स्थानो में ग्रामीणों को भड़काकर , भय दिखाकर कार्यक्रम आयोजित कराकर शासन – प्रशासन के प्रति दुष्प्रचार , आमजनता में गलत जानकारी , सुरक्षाबलो को बदनाम करने जैसे साजिश कर रहे हैं