हिन्दी दिवस के अवसर पर आनलाइन संगोष्ठी आयोजित, हिन्दी है हम वतन हैं हिन्दोस्तां हमारा

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। किसी भी राष्ट्र के विकास में वहां की बोली जाने वाली भाषा, संस्कृति उस देश के लोगों कों जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा भी है जो देश की राष्ट्रीय एकता अखंडता को बनाये रखने में हिन्दी का बहुत बड़ा योगदान है। हिन्दी स्वाभिमान की भाषा है जो राष्ट्र को एक सूत्र में जोड़ती है हिन्दी दिवस के अवसर पर आनलाइन संगोष्ठी आयोजित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक, सामाजिक प्रबुद्धजनो ने हिस्सा लेकर अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति एकता अखंडता को मजबूत बनाने पर जोर दिया। इस अवसर पर थानू निषाद शिक्षक, साहित्यकार एवं उद्घोषक ने कहा हिन्दी आज पूरे दुनिया के 176 विश्वविद्यालय में पढ़ाई एवं बोली जाती है हिन्दी एक सहज सरल एवं सरस रूप में बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम श्रोत हैं सिनेमा जगत से लेकर विश्वपटल में हिन्दी का परचम लहराने में सिनेमा जगत का विशेष स्थान है। हिन्दी के प्रति पूरे भारत में अपनी उपयोगिता एवं पहचान दी है लोग हिन्दी बोलते हुए अपने आप को बड़े ही गौरवांन्वित महसूस करते हैं। हिन्दी शर्म नहीं धर्म का विषय है हिन्दी से जो पहचान बनी हैं वह अन्य भाषा की तुलना में कुछ ज्यादा ही हुआ है। हिन्दी जिसका नाम फारसी शब्द हिन्द से मिला है जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि। शिक्षक परमेश्वर यादव ने कहा हिन्दी में लिखने वाले बड़े बड़े कहानीकार, साहित्यकार एवं उपान्यासकार हुए हैं जो अपनी सहज सरल अभिव्यक्ति को कलम के माध्यम से उकेरने का काम किया है जो अपने विचारों को पूरे विश्व पटल पर लाने का काम किया। शिक्षक विकास हेतु ने कहा हिंदी आज हमारे भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है हिन्दी बोलने में जितनी सहज सरल एवं एक अपनापन का भाव एवं खुशी मिलती है वह अन्य भाषा में दिखलाई नही पड़ता शिक्षक फागन मतावले ने कहा हिन्दी भारत के व्यापारिक पृष्ठ भूमि की बुनियाद है जिसके माध्यम से व्यापक रूप से प्रगति हुई हैं हिन्दी जिस तेजी के साथ आगे बढ़ा हैं वह हमारे देश की एकता अखंडता का मिशाल है जो यहां की सम्प्रभुता को दर्शाता है। शिक्षक नकुलनाथ योगी ने कहा हिन्दी अंग्रेजी की तुलना में मूल शब्द कई गुना अधिक है अंग्रेजी में मात्र 10 हजार मूल शब्द हैं। वहीं हिन्दी में मूल शब्दों की संख्या दो लाख 50 हजार से भी अधिक है। हिन्दी बोलने पर हमें गर्व की अनुभूति महसूस होती है हिन्दी हमारे देश के आन बान और शान की प्रतीक है। इस अवसर पर अनेक बुद्धिजीवियों ने अपनी विचार साझा किए।

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