आईजी डॉ० संजीव शुक्ला से वर्षों बाद हुई सौजन्य भेंट-मुलाकात

मित्रता नाम है सुख-दु:ख के अफसाने का , ये राज है एक-दूसरे से मिलकर मुस्कुराने का।

ये एक-दो पल की रिश्तेदारी नहीं , बल्कि फर्ज है जिंदगी भर साथ निभाने का।।

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 

बिलासपुर (गंगा प्रकाश)। शरद ऋतु की आहट , सायंकाल का समय , सुहानी हवा और पर्यटन के बहाने मित्रों को अपने एक प्रिय मित्र डॉ० संजीव शुक्ला का साथ – धरती पर इससे अच्छा मौका हो ही नहीं सकता। मित्र मिले तब हर मौसम सुहाना बना देता है। कहा तो यहां तक जाता हैं कि जो जादू बड़े से बड़े जादूगरों नहीं होता वह अक्सर वर्षों के बाद मिलने वाले मित्रता से हो जाता है। छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर प्रवास के दौरान लगभग बीस – पच्चीस वर्षों बाद  शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय पहुंचकर मीडिया साथी एवं मित्र मण्डली ने बिलासपुर रेंज आईजी डा० संजीव शुक्ला से सौजन्य भेंट – मुलाक़ात की। इस संसार में जीवन-काल के दौरान कई मित्र बनते हैं और कई मित्र बिछड़  जाते हैं , लेकिन कुछ एक मित्र ऐसे भी होते हैं  जिनसे वर्षों के बाद मिलने पर वही स्नेह , वही प्रेम , वही आत्मीयता और अपनत्व बना रहता हैं – ऐसे मित्र किस्मत से ही मिलते हैं। डॉ राजेश शुक्ला , डॉ राजेन्द्र शुक्ला , डॉ सुनील श्रीवास्तव , डॉ खगेंद्र सोनी , डॉ रामगोपाल गुप्ता , डॉ  रमेश राठौर , उमेश अग्रवाल , डॉ अंगेश सोनी , विनोद अग्रवाल और डॉ संजीव कुमार शुक्ला सब विद्यार्थी सीएमडी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में एम० काम के बाद एमफिल वाणिज्य विषय में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में साथ-साथ अध्ययन किये और फ़िर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में  संलग्न हो गये। साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने संस्मरण सुनाते हुये कहा कि हम-सब मित्रों ने विभिन्न महाविद्यालयों में वाणिज्य विषय में अध्यापन का रास्ता चुना और इसी पद पर कार्यरत हैं। एक कवि ने ठीक ही कहा हैं कि आपके जीवन में कुछ ऐसे भी मित्र होने चाहिये जो जिंदगी के मोड़ पर आपके साथ खड़े होने चाहिये। आपके जीवन में कुछ ऐसे दोस्त तो होने हीन चाहिये। यघपि अनेक कारणों की वज़ह से कई मित्र दूर हो जाते हैं मगर जिनसे गहरी मित्रता रहती हैं वह कभी-भी दिल से अलग नहीं होते है। विश्वविद्यालय बिलासपुर में अध्ययन के दौरान ही संजीव शुक्ला का चयन लोक सेवा आयोग द्वारा पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्ति हुआ। इसके बाद वे सीएसपी थाना दर्री-कोरबा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत रहते हुये  पुलिस अधीक्षक बने और आज़ अपनी प्रतिभा के बदौलत महानिदेशक बिलासपुर के पद पर कार्यरत हैं। आईजी महोदय ने रेसलर प्रतीक तिवारी से उनके रेसलिंग के संबंध में जानकारी ली , जिसमें रेसलर ने बताया कि आपके आशीर्वाद से अनेकों मौत के मुकाबला में विजेता बनने का अवसर मिला। छत्तीसगढ़ मे रायपुर में गत वर्ष भारत बनाम नेपाल के मुकाबले में भी उन्हें विजय हासिल हुआ है। मित्रों से चर्चा की कड़ी में शशिभूषण सोनी ने भी अपने कालेज के समय की बातों को याद करते हुये पत्रकारिता कार्य की जानकारी दी। इस संबंध में अरविन्द तिवारी ने बताया कि अच्छे मित्रों की संगत से जीवन को सही दिशा मिलती है। वास्तव में सच्चे और अच्छे मित्र उस चमकते हीरे की तरह हैं , जिसकी चमक कभी-भी खत्म नहीं होती। दरअसल मित्र उसी को कहते हैं जो चाहे कितने भी ऊंचे पद पर कार्यरत हो आने पर मिलने के लिये तैयार रहते हैं , हाल-चाल पूछते हैं और सही दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। आईजी शुक्ला से मुलाकात कर बीस पच्चीस वर्ष पुरानी चर्चा करके उन दिनों की यादें भी ताजा हो गई , जब वे दर्री (कोरबा) में सीएसपी थे। उन्हें आज दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में जाना था , इसके बावजूद भी अपने व्यस्ततम समय को निकालकर हमें आधा घंटा समय दिये – यही हमारे लिये महत्वपूर्ण बात रही। आईजी महोदय से पत्रकारिता से संबंधित सलाह , मार्गदर्शन मिला जो बहुत अच्छा लगा। इस भेंट-मुलाकात के दौरान जांजगीर-चांपा जिले से शशिभूषण सोनी , अरविन्द तिवारी , रेसलर प्रतीक तिवारी , अधिवक्ता संदीप मिश्रा और गो रक्षा सेवा संगठन के छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव योगेश तिवारी उपस्थित थे।

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