
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। आज गांव गांव में श्रद्धालुजन छोटी दिवाली के नाम से भी जाने जाने वाला देवउठनी का पर्व आज 12 नवंबर को रवि योग, हर्शण योग, सर्वार्थ सिद्धी योग में मनाया जाएगा। गोधुली बेला में घंटा, शंख की ध्वनि के बीच भगवान विश्णु को जगाया जाएगा। साथ ही तुलसी चौरा में गन्ने का मंडप सजाकर सालिग्राम भगवान और माता तुलसी का विवाह कराया जाएगा। इसके साथ ही मांगलिक कार्य, गृहप्रवेश, विवाह के लिए मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। पंडितों ने बताया कि आशाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से 4 माह के लिए भगवान विश्णु निंद्रा में चले जाते है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देवउठनी एकादशी के दिन भगवान नींद से जागते है। भगवान के निंदा अवस्था में होने के कारण विवाह, गृहप्रवेश सहित अन्य मांगलिक कार्यो पर पूरी तरह से ब्रेक लग जाता है। इस साल 11 नवंबर की शाम 6.46 बजे से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है। 12 नवंबर को शाम 4.45 बजे तक एकादशी रहेगी। उदय तिथि में ही पर्व मनाने का विधान है इसलिए एकादशी का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा।
तुलसी चौरों में की जाएगी विशेश पूजा-अर्चना
शहर में इस दिन लोग अपने घर पर स्थित तुलसी चौरा में देवउठनी एकादशी के दिन मंडप सजाकर पूजा-अर्चना की जाएगी। इसकी तैयारी में लोग अभी से जुट गए है। लोगों ने बताया कि इस दिन माता तुलसी और भगवान सालिग्राम की पूजा-अर्चना कर शंख, मृदग बजाकर वेव उठाने की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। इसी के साथ ही भगवान विश्णु 4 माह के बाद शयन से उठेंगे।
विवाह के लिए ये है शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त है। नवंबर में 12, 22, 23 और 27 तारीख तक विवाह के लिए मुहूर्त है। इसी तरह दिसंबर में 4, 6, 7, 12, 14 तारीख तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद धनुर्मास शुरू हो जाएगा। इस माह में विवाह समेत जनेऊ मांगलिक कार्यो पर फिर से ब्रेक लग जाएगा। फिर 2025 में 16 जनवरी से विवाह सहित मांगलिक कार्य शुरू होंगे। इस माह में 17, 21, 22 दिसंबर तक विवाह के लिए मुहूर्त है। फरवरी में 4, 5, 6, 7, 13, 18, 20, 21, 25 तथा मार्च में 3.5 और 6 तक मुहूर्त है।