
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। रविवार होने से श्रद्धालुओं ने आंवला नवमीं का त्यौहार काफी उत्साह से मनाया गया। आवंला नवमीं का पर्व रविवार को नगर व आसपास के इलाकों में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन सुहागिन महिलाओं ने सुबह से निर्जला व्रत रखा। आंवला पेड़ की पूजा की। पतियों की लंबी उम्र की कामना की। वहीं इस दिन परिवारों ने आंवला वृक्ष के नीचे पिकनिक का आनंद लिया। सुबह से ही महिलाएं एवं बच्चें अपनी अपनी टोली बनाकर समीपस्थ देवधाम बाबाकुपी के वनों से अच्छादित जंगल में पहुंचे पिकनीक मनाने। जहां सामूहिक रूप से वनभोज भी किया। गौरतलब है कि आंवला नवमीं कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन किए गए व्रत और पूजा का विशेश महत्व है। इस दिन स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने की परंपरा भी है, जो इस दिन के सबसे महत्वपूर्ण अनुश्ठान में शामिल है। अगर किसी कारणवश यह असंभव हो तो लोग घर में भोजन बनाकर आंवला वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करते है और फिर भोजन करते है। अक्षय नवमीं को इच्छा नवमीं भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन किए गए पूजन से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती है। ऐसे में महिलाओं ने आंवला वृक्ष के नीचे 108 बार मौली धागा बांधकर उसकी परिक्रमा की। मन ही मन पति की लंबी उम्र की कामना की। इस दिन फिंगेश्वर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में आंवला वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना की गई। महिलाएं और युवतियां दोपहर बाद सामूहिक रूप से आंवला वृक्ष के नीचे पहुंची और पिकनिक का आनंद लिया। साथ ही खेलकूद भी आयोजित किए गए जिसमें बच्चे और बड़े दोनों ने भाग लिया। इस प्रकार पूरे क्षेत्र में आंवला नवमीं का पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया।