
महासमुंद (गंगा प्रकाश)। जिले के पिथौरा तहसील कार्यालय में पदस्थ कानूनगो को रिश्वस्त लेते एसीबी की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा। पर, शिकायतकर्ता निलंबित कोटवार के कथन की भी जांच से स्थानीय राजस्व विभाग पर लगे गंभीर आरोप की भी पुष्टि हो सकती है। बता दें कि उक्त कार्रवाई के लिए शिकायतकर्ता एक कोटवार ही हैं। तहसील क्षेत्र के आरबी चिपमेन के कोटवार राजू चौहान ने मीडिया के सामने पिथौरा तहसीलदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें रेत के एक मामले में रिश्वत लेते वीडियो के कारण पिथौरा तहसीलदार नितिन ठाकुर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उन्हें कारण बताओ नोटिस या अन्य किसी तरह की सफाई का मौका दिए बिना ही निलंबित कर दिया। बाद जब वे श्री ठाकुर से निर्वाचन शाखा में मिले, तब उन्होंने उन्हें बहाल करने की मिन्नतें की थी, पर उन्होंने मामला कानूनगो में पदस्थ लिपिक माइकल पीटर पर डाल दिया। बाद श्री पीटर ने उन्हें बुलाकर बहाल करने के एवज में 50 हजार रुपए की मांग की, जिस पर उन्होंने दो किश्तों में देने की बात कर एसीबी में रपट दर्ज कराकर उक्त कार्रवाई कराई। श्री चौहान के अनुसार वे सांकरा सर्किल में हैं। उनका तहसीलदार अलग है, पर उन्हें निलंबित पिथौरा तहसीलदार ने किया था, जो अवैधानिक है।
कोटवार के आरोपों की भी जांच जरूरी
एसीबी कार्रवाई कराने वाले कोटवार ने पिथौरा तहसीलदार पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। जिस तरह के आरोप उन्होंने लगाए हैं, उसकी जांच जरूरी है। क्योंकि उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वे अफसरों के कहने पर अवैध वसूली करते हैं। चूंकि अभी भी अवैध वसूली के मामले में ही राजू चौहान को पहले निलंबित किया गया, फिर बहाली के लिए बड़ी रकम की मांग की गई, जिससे कोटवार उत्तेजित हो गया और उत्तेजना में ही राजस्व विभाग पर हमेशा लगने वाले आरोपों की पुष्टि भी कर दी।
प्रमाण पत्रों के हजारों आवेदन पेंडिंग
करीब सप्ताहभर पहले भी तहसीलदारों द्वारा बनाए जाने वाले आय-जाति, निवास प्रमाण पत्र के करीब 8 हजार आवेदन जिलेभर में जमा होने की खबर आई थी, जिसमें सर्वाधिक 3 हजार से अधिक आवेदन पिथौरा तहसील के ही थे। तहसील कार्यालयों में प्रतिदिन लाखों का खेल होता है। अफसर से लेकर आवेदन लिखने वाले अर्जीनवीस भी आम आदमी की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसमें खास बात यह है कि अफसरों की लगातार शिकायतों व खबर प्रकाशन के बाद भी कार्रवाई न होने से पूरा राजस्व तंत्र बेखौफ मनमानी कर रहा है, जिसका अंजाम अभी एसीबी की कार्रवाई में देखने मिला।
आय-जाति, निवास में दिलचस्पी नहीं
विभिन्न कार्यों के लिए बनाए जाने वाले आय- जाति, निवास प्रमाण पत्र (खासकर स्कूली छात्र-छात्राओं) में अफसरों की कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं देती। लिहाजा इन आवेदनों में छोटी-छोटी कमियां निकालकर इन्हें किनारे कर दिया जाता है, जिससे अब इनकी संख्या सैकड़ा से बढ़कर हजारों में पहुंच चुकी है ।