विधायक रोहित साहू का मास्टरस्ट्रोक – निर्दलीय प्रशांत मानिकपुरी को मना कर किया सियासी गेम सेट, अब कांग्रेस बैकफुट पर!

 

विधायक रोहित साहू का मास्टरस्ट्रोक – निर्दलीय प्रशांत मानिकपुरी को मना कर किया सियासी गेम सेट, अब कांग्रेस बैकफुट पर

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद में नगर पालिका चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। लेकिन भाजपा ने एक बड़ा सियासी दांव खेलते हुए निर्दलीय प्रत्याशी प्रशांत मानिकपुरी को मना लिया, जिससे चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल गए।

रोहित साहू का बड़ा दांव! विपक्ष के खेल पर फेरा पानी, निर्दलीय उम्मीदवार को भाजपा के साथ मिलाया

गरियाबंद नगर पालिका चुनाव में सियासी हलचल तेज हो गई है, लेकिन भाजपा ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए निर्दलीय प्रत्याशी प्रशांत मानिकपुरी को अपने पक्ष में कर लिया। इस रणनीति के पीछे विधायक रोहित साहू की अहम भूमिका मानी जा रही है, जिनके प्रयासों से भाजपा ने एक मजबूत बढ़त बना ली है।

जैसे ही प्रशांत मानिकपुरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की थी, भाजपा में हलचल मच गई थी। माना जा रहा था कि वे भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते थे, जिससे पार्टी को नुकसान होता। लेकिन रोहित साहू के कुशल नेतृत्व और रणनीति के चलते प्रशांत मानिकपुरी को भाजपा के साथ आने के लिए मना लिया गया, जिससे अब मुकाबला सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच सिमट गया है।

इस बड़े सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस खेमा सकते में आ गया है और अब नई रणनीतियों पर काम कर रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अब चुनाव में जीत की राह और साफ हो गई है।

प्रशांत मानिकपुरी के निर्दलीय मैदान में उतरने से भाजपा को अपने वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा था, जिससे पार्टी में हलचल मची हुई थी। लेकिन अंततः भाजपा ने उन्हें मना कर अपने संभावित नुकसान को टाल दिया। अब मुकाबला सीधे भाजपा और कांग्रेस के बीच सिमट गया है, जिससे सियासी तापमान और बढ़ गया है।

अब कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रशांत मानिकपुरी के चुनावी दौड़ से हटने के बाद कांग्रेस को अपनी रणनीति फिर से तैयार करनी होगी, क्योंकि भाजपा ने अपने वोट बैंक को मजबूत कर लिया है। कांग्रेस के लिए यह चुनौतीपूर्ण घड़ी है, और पार्टी अब नए सियासी दांव-पेंच में जुट गई है।

अब चुनावी रणभूमि में सिर्फ दो योद्धा आमने-सामने हैं, और 15 फरवरी को जनता का फैसला आने वाला है। दोनों ही दलों के प्रत्याशी जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। डोर-टू-डोर प्रचार तेज हो चुका है, बड़े नेताओं के दौरे भी बढ़ने वाले हैं, और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी उफान पर हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि गरियाबंद की जनता किसे अपना समर्थन देती है – भाजपा, जिसने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, या कांग्रेस, जो नए समीकरण बनाने की जुगत में लगी है?

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