आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की स्थिति  चिंताजनक -विष्णु लोधी

आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ेगीJCCJ – विष्णु लोधी

  हरदीप छाबड़ा

 राजनांदगांव(गंगा प्रकाश)।-जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)  के जिला अध्यक्ष विष्णु लोधी ने कहा  13 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज ने राजधानी में बड़ी रैली निकाली और अपने अधिकारों की आवाज को बुलंद किया।  इस दौरान विष्णु लोधी  ने कहा आजादी के 75 साल के बाद भी गरीब आदिवासी समाज अपने मूल अधिकार स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, रोटी , कपड़ा, बिजली, पानी और सड़क के लिए सड़क में उतरकर संघर्ष कर रहा है। जबकि राज्य की कुल आबादी में 32 फीसदी आदिवासी है। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में गरीब आदिवासियों की स्थिति बेहद चिंताजनक है, आदिवासी वर्ग अपनी संस्कृति के धरातल पर जीवनयापन पसंद करते हैं, राज्य की विशेष संरक्षित जनजाति बिरहोर खतरे में है इसकी जनसंख्या लगातार कम हो रही है यह जनजाति  दुर्गम जंगलों में रहती है  यही स्थिति पहाड़ी कोरवा, पंडो और अबूझामाड़िया की भी है। सरकार चाहे 15 साल की भारतीय जनता पार्टी की हो या फिर मौजूदा कांग्रेस की हो हमेशा आदिवासी समाज उपेक्षित रहा है और अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा है। उन्होंने कहा आदिवासियों के जल, जंगल औऱ जमीन को छीना जा रहा है,  वनांचल में बिजली, पानी,सड़क, स्वास्थ्य, स्कूल अस्पताल के अभाव के कारण आदिवासी समाज का बड़ा वर्ग आज भी समाज के मुख्य धारा से नहीं जुड़ पा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के चलते मरीजों  को चौपाया में ढोकर आदिवासी मिलो पैदल चलकर अस्पताल ले जाने को मजबूर होते  है । केंद्र सरकार की आंकड़ों पर भरोसा करें तो छत्तीसगढ़ की सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में 25 हज़ार 164 आदिवासी बच्चों की जानें गयी हैं। इन बच्चों में 13 हज़ार से अधिक नवजात शिशु और 38 सौ से अधिक छोटे बच्चे-बच्चियां थे। जिसमें अधिकांश की मौत निमोनिया, खसरा, डायरिया जैसे वर्तमान में मामूली समझी जाने वाली बीमारियों के कारण हुई है। लगभग 955 महिलाओं की मृत्यु प्रसव के दौरान हुई है। 

विष्णु लोधी ने कहा एक तरफ तो भारत का संविधान आदिवासियों को अनेक अधिकार और विशेष दर्जा दे रखी है वहीं धरातल में आदिवासियों की स्थिति कुछ अलग ही बयां करती है जिसके लिए सरकार में बैठे लोग जिम्मेदार है। 

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