फिंगेश्वर महाविद्यालय में मनाया गया अन्तरर्राष्ट्रीय महिला दिवस

फिंगेश्वर महाविद्यालय में मनाया गया अन्तरर्राष्ट्रीय महिला दिवस

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। फणिकेश्वर नाथ शासकीय महाविद्यालय, फिंगेश्वर में महिलाओं के अधिकार, सम्मान एवं दायित्यों के प्रति जागरूकता हेतु अन्तरर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में फिंगेश्वर थाना की महिला प्रधान आरक्षक श्रीमती संकल्प साहू उपस्थित रही तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ. देवदास बंजारे द्वारा किया गया। कार्यक्रम का निर्देशन व संचालन महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. अलका कौशिक के द्वारा किया गया। महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ संयोजक प्रो. कमलेश्वर प्रसाद निषाद ने सदन को संबोधित करते हुए अन्तरर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के थीम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए अन्तरष्ट्रिय स्तर पर संघर्ष किया था, जिसका परिणाम यह है कि आज विश्व स्तर पर नारियों कि सम्मान में 08 मार्च को अन्तर्राष्ट्रिय महिला दिवस् कि रूप में मनाया जाता है। डॉ. देवदास बंजारे ने अपने उद्बोधन में महिलाओं की सशक्तीकरण पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को स्वयं अपने आप में सशक्त होना पड़ेगा जिससे वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। फिंगेश्वर थाना की महिला प्रधान आरक्षक श्रीमती संकल्प साहू ने कहा कि इस विज्ञान व तकनीकी युग में भी बहुत ती महिलाएं अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अनेक प्रकार के दुर्ब्यवहार व प्रताड़ना को सहना पड़ता  है। श्रीमती साहू ने छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि आप सभी समाज के शिक्षित वर्ग को प्रतिनिधित्व करते है अतः महिलाओं के सम्मान के प्रति जागरूकता आपके द्वारा ही लाया जा सकता है। प्रो. रितेश गोलछा ने अपने वक्तव्य में नारी को शक्तिः स्वरूपा की संज्ञा देते हुए कहा कि महिलायें हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे निकल गये है, उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास, किसी भी काम के प्रति उनकी लगन और मेहनत ने पूरी दुनिया को  दिखा दिया है कि कोई भी काम अब उनके लिए असंभव नहीं है । डॉ. अलका कौशिक ने सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए इसे मनाए जाने के इतिहास पर प्रकाश डाला तथा छात्र-छात्राओ को संबोधित करते हुए कहा कि केवल एक दिन महिला दिवस मना लेना महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट नहीं करता अपितु हमें हमेशा महिलाओं के प्रति समान व आदर्श व्यवहार करना चाहिए। अतिथि प्राध्यापक श्रीमती ममता देवांगन ने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने आप को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनना चाहिए, जिससे वो आने वाली पीढ़ी को मजबूत आधार दे सके। श्रीमती अंजली देवांगन ने ज्योतिबा फुले के प्रेरक प्रसंग के माध्यम से कहा कि शिक्षा की शक्ति शारीरिक शक्ति से सर्वोपरि होती है। डॉ. मोहन सिंह ने सभा में विचार रखते हुए कहा कि नारी तो संघर्ष की पर्याय होती है जो अपने परिश्रम से समाज में सर्वोच्च सम्मान अर्जित करती है। प्रो- तीरथ राम कपूर ने अतिथियो, वक्ताओं तथा छात्र-छात्राओं के प्रति आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि महिलाएँ वैदिक काल से आधुनिक काल तक समाज के उत्थान में अतुलनीय योगदान दे रहीं है। कार्यक्रम में स्नातक द्वितीय सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर कि छात्र-छात्राओं के अधिकाधिक संख्या में उपस्थित रहे। महाविद्यालय के अतिधि प्राध्यापक देवेंद्र पटेल, सुश्री देवश्ची कुर्रे तथा गैर शैक्षणिक स्टॉफ सदस्य हीरा सिंह, कोमल निषाद, परमानंद यादव, तेजराम सोनवानी व श्रीमती प्रतिभा निषाद ने काम को सफल बनाने में आशातीत योगदान दिया।

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