पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, ग्राम पंचायतों में तालाबंदी

पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, ग्राम पंचायतों में तालाबंदी

 

धनंजय गोस्वामी

डोंगरगांव (गंगा प्रकाश)। शासन की वादाखिलाफी के विरोध में प्रदेशभर के 11 हजार से अधिक पंचायत सचिव आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसके चलते पंचायत कर्मियों ने जनपद पंचायत कार्यालय के समीप धरना आंदोलन प्रारंभ कर दिया है। पंचायत सचिवों की हड़ताल से पूरे ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में कार्य ठप हो गया है, जिससे तालाबंदी की स्थिति बन गई है।

जानकारी के अनुसार, ब्लॉक के लगभग 40% ग्राम पंचायतों में अब तक नव-निर्वाचित सरपंचों का चार्ज ही नहीं हुआ है। ऐसे में पंचायत सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से पंचायतों का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है।

शासन के वादे अधूरे, सचिवों में आक्रोश

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने कर्मचारियों के नियमितीकरण, वेतन वृद्धि और क्रमोन्नति जैसे कई लुभावने वादे किए थे। सत्ता में आने के बाद सरकार ने 100 दिनों के भीतर इन वादों को पूरा करने का संकल्प लिया था। अपने घोषणा पत्र में पंचायत सचिवों का शासकीयकरण करने का भी वादा किया गया था। लेकिन सरकार बनने के 400 दिन बाद भी इस संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, जिससे पंचायत सचिवों में आक्रोश है।

पिछले वर्ष पंचायत सचिव दिवस के अवसर पर रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। उन्होंने वादा किया था कि रिपोर्ट एक महीने के भीतर जमा कराकर शासकीयकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। लेकिन आज तक उस रिपोर्ट का भी कोई अता-पता नहीं है। इससे नाराज होकर पंचायत सचिवों ने अनिश्चितकालीन कामबंद, तालाबंदी और कलमबंद हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।

जनपद पंचायत कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन

डोंगरगांव ब्लॉक में बड़ी संख्या में पंचायत सचिव जनपद पंचायत कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन पर बैठे और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। इस दौरान सचिव संघ के ब्लॉक अध्यक्ष रामदुलार साहू, योगेश साहू, लोकनाथ यदु , महेश सोनटेके,चमन साहू, मोनिका खत्री, मौसमी साह, नरेन्द्र, उपेश यादव, कृष्णा साह, दौवाराम साहू, डेरहाराम साहू, करण जोशी, मनहरण, गंगा निषाद, गंगा प्रसाद साहू सहित बड़ी संख्या में पंचायत सचिव उपस्थित रहे।

 

पंचायत सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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