गरियाबंद में लूट का अड्डा बना जिला कार्यालय ! शासन-प्रशासन मूक दर्शक, अधिकारी कलेक्ट करने में मशगूल,जिला बना भ्रष्टाचार का हॉटस्पॉट

गरियाबंद में लूट का अड्डा बना जिला कार्यालय ! शासन-प्रशासन मूक दर्शक, अधिकारी कलेक्ट करने में मशगूल,जिला बना भ्रष्टाचार का हॉटस्पॉट

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का जिला कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है। अधिकारी नियम-कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए खुलेआम मनमानी कर रहे हैं और उच्च अधिकारी टिफिन पार्टी में मस्त हैं। दर्रापारा कॉलेज से मंगवाई जा रही टिफिन की थाली में सिमट गया है प्रशासनिक जिम्मेदारी का जायका !

जिन अधिकारियों को जिले की व्यवस्था सुधारनी थी, वे जाते-जाते कलेक्शन अभियान में जुटे हैं। शिक्षा विभाग तो पूरी तरह से दलदल में धंसा नजर आ रहा है। शिक्षकों से लाखों की उगाही, अधिकार क्षेत्र से बाहर निकलकर आदेश जारी करना और हर जगह अपने चहेतों को फायदा पहुँचाना- यही बन गया है अब प्रशासनिक रूटीन ! मनमानी आदेशों की बाढ़ आ गई है, और जिले के अफ्सर आँख मूंदकर उन पर अनुशंसा कर रहे हैं। न नियमों की चिंता, न न्याय की परवाह सिर्फसिफारिश, सौदा और सेटिंग। इतना ही नहीं, वायरल हो रहे वीडियो में खुलेआम लेन-देन की बातें सामने आ रही है। क्या यह सिस्टम का पतन नहीं?

उच्च न्यायालय की अवमानना तक पहुंचा मामला

 

  • शिक्षा विभाग की करतूतों से न्यायालय भी हैरान। एक अधिकारी के खिलाफ अवैध आदेशों के चलते माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना की नौबत आ चुकी है। फिर भी जिले के आला अधिकारी चुप हैं आखिर क्यों?

कस्तूरबा विद्यालय से छात्राएं लापता – जांच में लीपापोती !

हाल ही में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से दो छात्राएं छात्रावास अधीक्षिका की गैरहाजिरी में रात के अंधेरे में भाग निकलीं। खबर प्रकाशित होने पर हड़कंप मच गया, लेकिन समग्र शिक्षा विभाग ने लीपापोती करते हुए जाँच में झूठी रिपोर्ट बना दी कि बालिकाएं पहले से गायब थीं। डीएमसी अधिकारी अधीक्षिका को बचाने में जुट गए, और एक बार फिर जिला कलेक्टर को भ्रमित करने का खेल शुरू हो गया।

प्रशासन का पतन या सोची-समझी साजिश ?

अब बड़ा सवाल ये है कि क्या शासन जानबूझकर इन भ्रष्ट अधिकारियों को खुली छूट दे रहा है? आखिर कौन है वह ताकत, जिसके दम पर ये अधिकारी खुलेआम सविधान और नियमों को रौंदते चले जा रहे है?

जनता पूछ रही है, आखिर कब तक ?

गरियाबंद की जनता अब जवाब मांग रही है। आखिर कब तक जिले की छवि को यूँ ही धूल में मिलाया जाता रहेगा? क्या शासन कोई कड़ा कदम उठाएगा या ये भ्रष्टाचार यूँ ही साय-सांय करता रहेगा?

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