“नशबंदी के बाद महिला फिर हुई गर्भवती ! इस बार आदिवासी मजदूर से मांगे 15 हज़ार, आयुष्मान योजना पर बड़ा सवाल”…

रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। ज़िले में एक ऐसा शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और “आयुष्मान भारत” योजना की पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। एक आदिवासी मजदूर, जिसने अपने परिवार के बेहतर भविष्य के लिए पत्नी की नशबंदी सरकारी योजना के तहत करवाई थी।आज खुद को ठगा हुआ और लुटा-पिटा महसूस कर रहा है।
यह मामला गंगा स्मार्ट हॉस्पिटल, माझापारा, रायगढ़ का है, जहाँ 09 फरवरी 2023 को महिला का नशबंदी ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन आयुष्मान कार्ड से हुआ, और अस्पताल ने छुट्टी दे दी। कुछ महीनों बाद जब महिला का मासिक चक्र बंद हुआ, तो प्रेगनेंसी टेस्ट कराया गया और वह पॉज़िटिव निकला। 13 अप्रैल 2025 को जब परिवार दोबारा अस्पताल पहुँचा, तो डॉक्टरों ने सोनोग्राफी की, फिर गर्भपात कर दोबारा नशबंदी की। लेकिन इस बार कहा गया — “15 हज़ार रुपये देने होंगे!”
क्यों? क्या पहले का ऑपरेशन झूठा था? या लापरवाही से किया गया? क्या आयुष्मान योजना का फर्जीवाड़ा हुआ है?…
आदिवासी मजदूर ने यह सवाल सीधा रायगढ़ सीटी कोतवाली, छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल, स्वास्थ्य मंत्री और पुलिस अधीक्षक से पूछे हैं। उसने साफ कहा : “मैं रोज़ कमाने-खाने वाला मज़दूर हूँ। आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन हुआ, फिर पैसे क्यों माँगे? क्या मेरे कार्ड का ग़लत इस्तेमाल हुआ?”
अब सवाल उठते हैं :
- क्या नशबंदी जैसे गंभीर ऑपरेशन में भी लापरवाही सामान्य बात हो गई है?
- क्या अस्पताल मनमाने तरीक़े से ग़रीबों से पैसे वसूल रहे हैं?आयुष्मान कार्ड का क्लेम किसने किया? कहाँ से पैसा निकाला गया?
यह सिर्फ एक आदिवासी परिवार का मामला नहीं यह एक सिस्टम के पतन की तस्वीर है। यदि इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह चुप्पी कल किसी और ग़रीब की चीख बन जाएगी।