छुरा क्षेत्र में रात्रिकालीन अवैध बोर खनन जोरों पर, कलेक्टर के प्रतिबंध के बावजूद जारी है माफियाओं की मनमानी

छुरा (गंगा प्रकाश)। जिला कलेक्टर द्वारा 30 अप्रैल तक बोर खनन पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश के अनुसार केवल शासकीय कार्यों के लिए ही बोर खनन की अनुमति दी गई है, जबकि निजी खनन के लिए तहसीलदार या एसडीएम से अनुमति आवश्यक है।
इसके बावजूद छुरा क्षेत्र के अंतिम छोर के गाँवों में रात्रिकालीन अवैध बोर खनन लगातार किया जा रहा है। इस अवैध धंधे में केवल स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि उड़ीसा और आंध्र प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के माफिया भी शामिल हैं, जो रात के अंधेरे का फायदा उठाकर बोर खनन कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि यदि प्रशासन द्वारा सूक्ष्मता से जांच की जाए, तो इस पर रोक लगाई जा सकती है।
स्थानीय व्यापारियों से बोर खनन में उपयोग होने वाले उपकरण—जैसे पाइप, बोर मशीन, डीज़ल, जनरेटर—की खरीद-फरोख्त का रिकॉर्ड खंगालने से इस अवैध नेटवर्क की परतें खोली जा सकती हैं।
सबसे गंभीर बात यह है कि जब इस विषय पर कुछ मीडिया कर्मियों ने पड़ताल करने की कोशिश की, तो उन्हें नाम न छापने की शर्त पर ही जानकारी दी गई।
सूत्रों ने साफ शब्दों में कहा कि उनका नाम या पहचान उजागर की गई, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इससे यह साफ है कि माफिया नेटवर्क न केवल मजबूत है, बल्कि लोगों में डर का माहौल भी बना चुका है।
विभागीय चुप्पी और कार्रवाई के अभाव में यह सवाल उठने लगा है कि क्या प्रशासन इस पूरे खेल से अनभिज्ञ है या किसी अंदरूनी संरक्षण की छाया में यह सब कुछ हो रहा है?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक मूकदर्शक बना रहता है, या फिर अवैध बोर खनन के इस नेटवर्क पर कोई ठोस कार्रवाई होती है।