छुरा का अधूरा वॉलीबॉल मैदान बना शराबियों का अड्डा, खिलाड़ियों ने उठाई पुनर्निर्माण की मांग

छुरा का अधूरा वॉलीबॉल मैदान बना शराबियों का अड्डा, खिलाड़ियों ने उठाई पुनर्निर्माण की मांग

 

समतलीकरण से लेकर लाइट, जल व्यवस्था और मेंटेनेंस तक—खेल मैदान की दुर्दशा पर उठे सवाल

छुरा (गंगा प्रकाश)। छुरा नगर का वॉलीबॉल मैदान इन दिनों अपनी बदहाली को लेकर चर्चा में है। जहां एक ओर युवा खिलाड़ियों को बेहतर खेल सुविधा की उम्मीद थी, वहीं वर्तमान स्थिति में यह मैदान अधूरा निर्माण, अव्यवस्थाओं और अनदेखी का शिकार बना हुआ है।

स्थानीय युवाओं और खेल प्रेमियों ने मैदान की स्थिति को लेकर नवनिर्माण और समुचित मेंटेनेंस की मांग की है। मैदान की जमीन अभी तक पूरा समतलीकरण नहीं हो पाया है, जिससे अभ्यास के दौरान चोटिल होने का खतरा बना रहता है।

प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार मैदान की मुख्य समस्याएं:

  • लाइट की सुविधा पूरी तरह ठप: मैदान में लगी लाइटें लगातार बंद पड़ी रहती हैं, जिससे शाम के समय अभ्यास करना मुश्किल हो जाता है।
  • जल व्यवस्था नहीं: खिलाड़ियों के लिए नल या पेयजल की कोई सुविधा नहीं है, जिससे उन्हें पानी के लिए भटकना पड़ता है।
  • मुख्य द्वार हमेशा खुला: सुरक्षा के अभाव में मैदान का मुख्य द्वार हर वक्त खुला रहता है, जिससे शराबियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है।
  • खेल मैदान बना रास्ता: मैदान का उपयोग अब मुख्य मार्ग की तरह आवागमन के लिए किया जा रहा है, जिससे खिलाड़ी सुरक्षित अभ्यास नहीं कर पाते।
  • खेल सामग्री की दुर्दशा: मैदान में जो खेल सामग्री उपलब्ध है, उनकी सही देखरेख या मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है।
  • मैदान किराए पर दिया जाता है: स्थानीय प्रशासन द्वारा इस खेल मैदान को शादी-ब्याह और अन्य निजी आयोजनों के लिए किराए पर दिया जाना भी खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय है।

 

खिलाड़ियों और नागरिकों की मांग

स्थानीय खिलाड़ियों का कहना है कि प्रशासन को इस मैदान की दशा पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि:

 

  • मैदान का पुनः समतलीकरण कराया जाए
  • लाइट और जल की सुविधा बहाल की जाए
  • मुख्य द्वार पर सुरक्षा व्यवस्था हो
  • मैदान को खेल गतिविधियों के लिए ही सीमित रखा जाए

 

“समाज और सरकार को सोचना होगा

एक ओर सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर ऐसे मैदान उपेक्षा का शिकार होकर शराबियों के अड्डे बनते जा रहे हैं। यह विषय केवल नगर प्रशासन के लिए ही नहीं, समाज के लिए भी सोचनीय है।

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