धरती का स्वर्ग फिर खून से लाल: पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों की हत्या, गरियाबंद में श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा जनसैलाब

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। ‘धरती के स्वर्ग’ कहे जाने वाले इस शांत स्थल पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने हिन्दू पर्यटकों को निशाना बनाकर उनकी नृशंस हत्या कर दी। गोलियों की गूंज और चीखों से गूंजते पहलगाम की यह दर्दनाक घटना न केवल मानवता को शर्मसार करती है, बल्कि देश की आत्मा को भी झकझोरती है।

जानकारी के अनुसार, आतंकियों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत उन पर्यटकों पर हमला किया जो सुकून की तलाश में पहलगाम पहुंचे थे। धर्म के आधार पर की गई यह हत्या न सिर्फ अमानवीयता की चरम सीमा है, बल्कि आतंकवाद की जड़ में छिपी वह कट्टर सोच भी उजागर करती है जो सदियों से इंसानियत की दुश्मन रही है।
गरियाबंद में उमड़ा जनसैलाब, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
इस बर्बर हमले के विरोध में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिले के तिरंगा चौक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों नागरिक, छात्र, व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता और महिलाएं शामिल हुए। सभी ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर, आंखों में आंसू और दिलों में पीड़ा लिए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभा में मौन प्रार्थना, दीप प्रज्वलन और भावपूर्ण भाषणों के माध्यम से न केवल मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट की गई, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश भी दिया गया।
“अब हर आंसू का हिसाब लिया जाएगा”: सुमित पारख
सभा को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष सुमित पारख ने भावुक स्वर में कहा:
“मैं एक पिता हूं। जब मैंने सुना कि एक मासूम बच्चे ने अपनी मां को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते देखा, तो मेरा दिल बैठ गया। हम यहां सिर्फ मोमबत्तियां जलाने नहीं आए हैं, हम यह संदेश देने आए हैं कि हिन्दू समाज अब जाग गया है – अब हर आंसू का हिसाब लिया जाएगा।”
न्याय की मांग और सुरक्षा की पुकार
सभा में उपस्थित लोगों ने एक स्वर में आतंकवाद की कड़ी निंदा की और सरकार से मांग की कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को तत्काल और कठोरतम सजा दी जाए। साथ ही घाटी में हिन्दू यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की गई।
इस घटना के बाद देशभर में गम और गुस्से का माहौल है। लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस कायराना हरकत के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह हमला केवल कुछ परिवारों पर नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की अस्मिता और संवेदना पर प्रहार है।
आपका मौन भी संदेश है, आपकी मोमबत्ती भी प्रतिरोध है। आतंक के खिलाफ यह लड़ाई अब केवल सरकार की नहीं, हर उस नागरिक की है जो इंसानियत में विश्वास रखता है।