बाघ की वापसी या खतरे की घंटी?:उदंती सीतानदी के जंगलों में दो भैंसों पर हमला, बाघ की मौजूदगी ने बढ़ाई हलचल

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के शांत जंगलों में एक बार फिर बाघ की दहाड़ सुनाई दी है—इस बार चुपचाप, लेकिन साफ़ संकेतों के साथ। कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र में दो मवेशियों के शव और ताजे पगचिह्नों की मौजूदगी ने न केवल वन विभाग को अलर्ट कर दिया है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों की चिंता भी बढ़ा दी है।

घटना की शुरुआत बुधवार सुबह हुई, जब ग्राम देवलाल सोरी जंगल में चिरौंजी बीनने गया था। तभी उसकी नजर ताजे बाघ के पदचिह्नों और दो मरी हुई भैंसों पर पड़ी। उसने तत्काल पेट्रोलिंग टीम को सूचना दी। इससे एक दिन पहले भी ग्राम पंचायत प्रतिनिधि राम सिंह ने क्षेत्र में बाघ के निशान देखे जाने की जानकारी साझा की थी।
दोहरे संकेत: दो बाघों की संभावना
सूचना मिलते ही वन विभाग की एंटी-पोचिंग टीम और गश्ती दस्ते ने इलाके में सघन जांच की। 100 मीटर के दायरे में मिले दोनों भैंसों के शवों पर पंजों और दांतों के निशान स्पष्ट रूप से बाघ के हमले की ओर इशारा कर रहे थे।
मौके से दो भिन्न आकार के पदचिह्न बरामद हुए, जिन्हें प्लास्टर ऑफ पेरिस से सुरक्षित कर लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दो अलग-अलग बाघों के हो सकते हैं।
डीएनए जांच से खुलेगा रहस्य
बाघ की पहचान और क्षेत्र में उसकी सक्रियता की पुष्टि के लिए अब वन विभाग ने डीएनए सैंपल जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बाघ के मल की खोज जारी है, जिसे विश्लेषण के लिए देहरादून स्थित टाइगर सेल भेजा जाएगा। यह रिपोर्ट न केवल बाघ की पहचान करेगी, बल्कि उसके गमन मार्ग और संभावित इलाकों की भी जानकारी देगी।
ग्रामीणों में सतर्कता, वन विभाग की अपील
तेंदूपत्ता सीजन और बाघ की मौजूदगी एक साथ आने से स्थिति संवेदनशील हो गई है। विभाग ने आसपास के गांवों में मुनादी करवाकर ग्रामीणों से अपील की है कि वे अकेले जंगल में न जाएं और किसी भी संदिग्ध हलचल की सूचना तत्काल दें।
कैमरा ट्रैप्स और निगरानी बढ़ाई गई
वन विभाग ने क्षेत्र में अतिरिक्त कैमरा ट्रैप लगाए हैं और गश्त बढ़ा दी गई है। इससे बाघों की मूवमेंट, स्ट्राइप पैटर्न और व्यवहार का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सकेगा।
अंतिम बार अक्टूबर 2022 में दिखा था बाघ
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2022 में उदंती सीतानदी रिजर्व में आखिरी बार एक बाघ कैमरा ट्रैप में नजर आया था। दिसंबर 2022 में मिले मल सैंपल के बाद यह पहला मौका है जब बाघ की इतनी स्पष्ट मौजूदगी दर्ज की गई है।
यह घटनाक्रम जहां संरक्षण के लिहाज से आशाजनक है, वहीं स्थानीय सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती भी बन गया है।