Cgnews: जाति आधारित जनगणना को कैबिनेट की मंजूरी, भाजपा नेता अनिल चंद्राकर बोले—सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने के ऐतिहासिक फैसले को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिससे देश में दशकों से लंबित इस मुद्दे पर एक निर्णायक पहल हुई है। स्वतंत्रता के बाद यह पहला मौका होगा जब मुख्य जनगणना प्रक्रिया के साथ जातिगत आंकड़े भी इकट्ठे किए जाएंगे।
इस फैसले के बाद देशभर में प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। गरियाबंद जिले के भाजपा जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह केवल जनगणना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की नींव है।
अनिल चंद्राकर का बयान:
“जाति आधारित जनगणना का निर्णय करोड़ों वंचितों और पिछड़े वर्गों की आवाज़ को ताकत देगा। इससे समाज के हर वर्ग की सच्ची स्थिति सामने आएगी और सरकार योजनाएं ज़मीनी हकीकत के आधार पर बना सकेगी। यह एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होगी, जिससे सामाजिक समानता को नई दिशा मिलेगी।”
जनगणना की संभावित समयरेखा:
सरकारी सूत्रों के अनुसार, जाति आधारित जनगणना की शुरुआत सितंबर 2025 से की जा सकती है। यह प्रक्रिया मुख्य जनगणना के साथ ही चलाई जाएगी और इसके अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में जारी होने की संभावना है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला:
- नीति निर्धारण में सहायक: जातिगत आंकड़े उपलब्ध होने से केंद्र और राज्य सरकारों को योजनाएं बनाने में सटीक जानकारी मिलेगी।
- वंचित वर्गों का सशक्तिकरण: सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को लाभ दिलाने में मदद मिलेगी।
- सामाजिक समानता को बढ़ावा: जातिगत आधार पर हो रहे भेदभाव और असमानता की पहचान कर उसके समाधान की दिशा में ठोस कार्य हो सकेगा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं:
जाति जनगणना को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है। कई संगठनों ने इसे लंबे समय से प्रतीक्षित निर्णय बताते हुए इसे देश के सामाजिक ढांचे के लिए आवश्यक बताया है।
भविष्य की संभावनाएं:
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जनगणना देश की समाजशास्त्रीय संरचना को बेहतर ढंग से समझने और योजनाओं को प्रभावी बनाने का अवसर प्रदान करेगी। साथ ही यह सामाजिक संतुलन और समावेशी विकास की राह प्रशस्त करेगी।