Cgnews:”भैया” सिर्फ एक नाम नहीं, एक विश्वास हैं: बृजमोहन अग्रवाल के जन्मदिन पर शुभकामनाओं की वर्षा

रायपुर (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ की राजनीति का एक ऐसा चेहरा जो वर्षों से लोगों के दिलों में बसा है— बृजमोहन अग्रवाल, वर्तमान में रायपुर लोकसभा सांसद और राज्य के वरिष्ठतम जननेता, आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर उन्हें बधाइयां देने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया है। उनके जनसेवा के प्रति समर्पण, सहजता और संघर्षों से भरी राजनीतिक यात्रा को याद करते हुए हजारों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।
“भैया से मेरा रिश्ता राजनीतिक नहीं, आत्मीय है”: गुरुचरण सिंह होरा
छत्तीसगढ़ टेनिस एसोसिएशन के महासचिव एवं ग्रैंड ग्रुप के चेयरमैन गुरुचरण सिंह होरा, जो पिछले चार दशकों से श्री अग्रवाल के साथ हैं, इस दिन विशेष रूप से भावुक नज़र आए। उन्होंने कहा,
“मैंने राजनीति में बहुत चेहरे देखे, लेकिन भैया जैसा जननेता नहीं देखा। वो भाषणों से नहीं, अपने कामों से दिलों में उतरते हैं। उनका जीवन सेवा की मिसाल है।”
होरा जी ने एक घटना साझा की—“एक बार आधी रात को एक बुज़ुर्ग महिला ने दवा खत्म होने की बात कही। हम सब थक चुके थे, लेकिन भैया ने ड्राइवर को बुलाया, दवा ली और खुद उस महिला के घर तक पहुंचाए। यही है उनका स्वभाव—‘जनता पहले, आराम बाद में’।”
राजनीतिक यात्रा: संघर्ष, सेवा और सिद्धांतों का संगम
श्री बृजमोहन अग्रवाल का राजनीतिक जीवन एक प्रेरणादायक गाथा है। वे महज 31 वर्ष की उम्र में 1990 में पहली बार रायपुर टाउन सीट से विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा:
- 1990, 1993, 1998: रायपुर टाउन से लगातार विधायक निर्वाचित।
- 2003: छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद नई सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। गृह, जेल, संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास, उच्च शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
- 2008 से अब तक: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से चार बार लगातार जीत दर्ज की।
- 2018 में 77,589 वोटों से और
- 2023 में लगातार आठवीं बार विधायक निर्वाचित होकर रिकॉर्ड बनाया।
2024 का लोकसभा चुनाव: ऐतिहासिक जीत
वर्ष 2024 में बृजमोहन अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। परिणाम जब आए, तो उन्होंने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को 5.75 लाख से अधिक वोटों से हराकर देश की सबसे बड़ी जीतों में अपना नाम दर्ज कराया।
यह जीत सिर्फ आंकड़ों की नहीं, जन-विश्वास की थी—एक ऐसे नेता पर, जिसने राजनीति को सेवा माना और जनसेवा को जीवन।
जननायक से जनप्रिय ‘भैया’ बनने तक की यात्रा
गुरुचरण सिंह होरा ने कहा, “भैया कोई नेता नहीं, एक भाव हैं। कोई शादी हो या संकट—वे सबसे पहले पहुंचते हैं और सबसे आखिर तक खड़े रहते हैं। मैंने देखा है, वे कैसे कार्यकर्ताओं के दुःख-सुख में बिना दिखावे के शामिल होते हैं।”
छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें ‘भैया’ कहती है—न किसी प्रचार के कारण, न किसी अभियान के तहत, बल्कि इसलिए कि उन्होंने हर व्यक्ति से वैसा ही संबंध बनाया जैसा कोई बड़ा भाई अपने परिवार से करता है।
भैया: एक संस्था, एक प्रेरणा
होरा जी ने कहा,
“भैया अब केवल एक नेता नहीं, एक संस्था हैं। उनके व्यक्तित्व में संयम, संवेदना और नेतृत्व का अद्भुत संतुलन है। उनके जैसे नेताओं से युवाओं को यह सीख मिलती है कि राजनीति अवसर नहीं, उत्तरदायित्व है।”
जनता से सीधा संवाद, सरल जीवनशैली
चाहे कोई स्कूली बच्चा हो, महिला समूह की कार्यकर्ता, बुज़ुर्ग, दुकानदार, या उद्योगपति—श्री अग्रवाल सबके लिए सहज रूप से उपलब्ध रहते हैं। सत्ता में रहकर भी उन्होंने कभी भी अपनी सरलता नहीं खोई।
वे आज भी सुबह जनता दरबार लगाते हैं, बिना किसी औपचारिकता के लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उन्हें तुरंत समाधान देने का प्रयास करते हैं। यही कारण है कि हर वर्ग, हर उम्र और हर विचारधारा के लोग उन्हें अपना मानते हैं।
निष्कर्ष
बृजमोहन अग्रवाल का जीवन एक प्रेरणा है—सेवा, संघर्ष और सिद्धांतों की त्रयी। उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरा छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि देश उन्हें शुभकामनाएं दे रहा है। वह ‘भैया’ हैं—नाम से नहीं, कर्म से।