Cgnews:लोकतंत्र सेनानियों को ट्रेजरी के माध्यम से मिलेगा सम्मान निधि

Cgnews:लोकतंत्र सेनानियों को ट्रेजरी के माध्यम से मिलेगा सम्मान निधि

 

अरविन्द तिवारी  

रायपुर (गंगा प्रकाश)। लोकतंत्र सेनानियों को हो रहे विभिन्न समस्याओं को अवगत और निराकरण कराने के लिये सेनानियों के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात की। सीएम साय से मिलकर उन्होंने कलेक्टर के माध्यम से सम्मान निधि ना दिलाकर ट्रेजरी के माध्यम से सीधे दिलाने की मांग की , मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग को स्वीकार करते हुये तत्काल इसके लिये आदेश जारी कर दिया। इसी कड़ी में प्रतिनिधिमण्डल ने सम्मान निधि बढ़ाने के साथ – साथ मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार की तरह लोकतंत्र सेनानियों को छत्तीसगढ़ में भी मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने और राज्यसभा / निगम में इनके लिये जगह आरक्षित करने की मांग की। सीएम साय ने प्रतिनिधिमण्डल के इन सभी मांगों पर मध्यप्रदेश और राजस्थान में लागू किये गये आदेश का अवलोकन कर शीघ्र ही सभी मांग पूरी किये जाने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमण्डल ने इस पर सीएम का आभार जताया , वहीं मुख्यमंत्री से मिले आश्वासन से छत्तीसगढ़ के लोकतंत्र सेनानियों में हर्ष व्याप्त है। मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे इस प्रतिनिधिमण्डल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी सच्चिदानंद उपासने , छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष दिवाकर तिवारी , कार्यालयीन मंत्री संतोष शर्मा और लोकतंत्र सेनानी महामंत्री असित भट्टाचार्य विशेष रूप से उपस्थित थे।

                                                     उल्लेखनीय है कि वर्ष 1975 में लगे आपातकाल में लोकतंत्र  की रक्षा के लिये जब भी संघर्ष की बात आयेगी , तब लोकतंत्र के प्रहरी मीसाबंदियों के संघर्षों को सदैव याद किया जायेगा। इनसें प्रेरणा भी ली जायेगी कि इन्होंने लोकतंत्र के लिये लड़ाई लड़ी। आपातकाल के दौरान सैकड़ों लोगों को जेल में बंद रखा गया। इन मीसाबंदियों ने जेल में जो पीड़ा , जुल्म सहे उन जख्मों पर मरहम लगाने के लिये अब मीसाबंदियों को सम्मान निधि प्रदान की जाती है। आपातकाल में मीसाबंदी के तौर पर सजा काटने वाले लोकतंत्र सेनानी छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष दिवाकर तिवारी ने अरविन्द तिवारी को बताया कि 26 जून 1975 को कांग्रेस की तात्कालीन सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर संवैधानिक प्रावधानों को समाप्त कर दमनात्मक शासन स्थापित किया था। हजारों लोगो को मौलिक अधिकारों से वंचित कर मीसा जैसे काले कानूनों के अंतर्गत जेलों में कैद कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि आपातकाल के समय लोकतंत्र सेनानी जब जेल जाते थे , तो उस परिवार की स्थिति बड़ी पीड़ादायक हो जाती थी। इन परिवारों के सामने आजीविका का संकट हो जाता था। सरकार द्वारा दी जाने वाली मीसाबंदियों की सम्मान राशि की बहाली अत्यंत सराहनीय है।

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