Cgnews: “छुरा में तूफानी कहर! तेज आंधी-बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, पेड़ गिरे, बिजली गुल, शादी समारोह बर्बाद – जानें पूरी तबाही की तस्वीर”
शादी समारोहों में खलल, पेड़ और खंभे गिरे, ईंट भट्टों को भी भारी नुकसान

छुरा (गंगा प्रकाश)। गर्मी के बीच मौसम ने अचानक करवट ली और गुरुवार को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक में तेज आंधी और बारिश ने भारी तबाही मचा दी। दोपहर बाद आए इस मौसमी कहर ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया बल्कि आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों पर भी गहरा असर डाला।

तेज हवाओं और बारिश से मची तबाही
आंधी और बारिश इतनी तेज थी कि नगर और आसपास के गांवों में सैकड़ों पेड़ जड़ से उखड़ गए। कई जगह बिजली के खंभे धराशायी हो गए, जिससे घंटों तक विद्युत आपूर्ति बाधित रही। कुछ इलाकों में टीन शेड उड़ गए और छोटे-बड़े निर्माण भी प्रभावित हुए।
प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इलाकों में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्कूल, बाजार और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। कई स्थानों पर पेड़ों के गिरने से सड़कें पूरी तरह बंद हो गईं, जिससे यातायात और आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हुईं।
शादी-विवाह पर भी पड़ा असर
इस समय क्षेत्र में शादी-विवाह का सीजन चल रहा है। तेज बारिश और हवाओं के कारण खुले में आयोजित कई विवाह समारोहों की तैयारियां तहस-नहस हो गईं। टेंट उड़ गए, साज-सज्जा का सामान बर्बाद हो गया और कार्यक्रमों में खलल पड़ा।
छुरा के कामराज निवासी आत्माराम ठाकुर ने बताया, “तेज हवाओं के साथ इतनी भारी बारिश कई सालों बाद देखी गई है। हमारे मोहल्ले में रात भर बिजली गुल रही और मोहल्ले में एक शादी समारोह पूरी तरह प्रभावित हो गया। यह बदलाव निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन का संकेत है।”
ईंट भट्टों को बड़ा नुकसान
जानकारी के अनुसार छुरा क्षेत्र के आसपास के जंगलों में स्थित कई ईंट भट्टों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। आंधी के कारण कच्ची ईंटें ध्वस्त हो गईं और जल रही भट्टियों में व्यवधान आया। इससे ठेकेदारों को लाखों का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
भट्टा मालिकों ने बताया कि कच्चे माल की बर्बादी के साथ-साथ तैयार माल भी नष्ट हो गया है। उन्होंने प्रशासन से नुकसान का सर्वे कर राहत देने की मांग की है।
प्रशासन का राहत एवं बचाव कार्य शुरू
स्थानीय प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। वन विभाग और बिजली विभाग की संयुक्त टीमें गिरे हुए पेड़ों को हटाने और बिजली आपूर्ति बहाल करने में जुटी हुई हैं।
नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, वन विभाग कार्यालय और जनपद पंचायत परिसर में भी बड़े पेड़ गिर गए थे। इन स्थानों पर कर्मचारियों ने औजारों की मदद से रास्ता साफ किया, तब जाकर यातायात दोबारा शुरू हो सका।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत बताया है। उनका कहना है कि यदि अब भी पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस और कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो इस तरह की घटनाएं बार-बार होंगी और उनकी तीव्रता भी बढ़ती जाएगी।
निष्कर्ष
छुरा ब्लॉक में हुई यह प्राकृतिक आपदा एक चेतावनी है कि हम प्रकृति के साथ जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, उसका जवाब वह अपने तरीके से दे रही है। प्रशासन की त्वरित कार्यवाही से राहत मिली है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए दीर्घकालिक योजना की जरूरत है।