CGNEWS: जशपुर में नफरत फैलाने की नई साजिश बेनकाब : ब्राह्मण समाज को अपमानित करने वाला रूपनारायण एक्का फिर चढ़ा कानून के शिकंजे में…

CGNEWS: जशपुर में नफरत फैलाने की नई साजिश बेनकाब : ब्राह्मण समाज को अपमानित करने वाला रूपनारायण एक्का फिर चढ़ा कानून के शिकंजे में…

 

जशपुर (गंगा प्रकाश)। सामाजिक समरसता को चीरते शब्द, जातीय जहर से भरी पोस्ट और ब्राह्मण समाज को खुलेआम अपमानित करने का दुस्साहस। ये कोई सामान्य आरोप नहीं, बल्कि जशपुर जिले की उस सच्चाई का हिस्सा हैं, जिसमें विवादित चेहरे रूपनारायण एक्का एक बार फिर कटघरे में खड़े हैं। कुनकुरी थाना में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 और 353(2) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज के खिलाफ जहर उगला :

13 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी ने जशपुर के सामाजिक ताने-बाने को हिलाकर रख दिया। सर्व ब्राह्मण समाज कुनकुरी के अध्यक्ष दीपक मिश्रा ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उक्त पोस्ट में ब्राह्मणों के खिलाफ अत्यंत अभद्र और उकसाने वाली भाषा का प्रयोग किया गया, जिससे न केवल समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, बल्कि समूचे हिन्दू समाज में आक्रोश फैल गया।

पुलिस ने तत्काल की कार्रवाई – जशपुर पुलिस का लौह-संकल्प :

 शिकायत मिलते ही कुनकुरी पुलिस ने एक्का के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मामले की गंभीरता को देखते हुए सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि जातीय वैमनस्य फैलाने वालों को बख्शा न जाए।

एक नहीं, चार पुराने मामले – ‘सीरियल आरोपी’ का चेहरा उजागर :

रूपनारायण एक्का कोई नया चेहरा नहीं। उनके खिलाफ पहले से ही चार आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं और सभी मामलों में सामाजिक विद्वेष और प्रशासनिक अवज्ञा की झलक मिलती है।

भड़काऊ भाषण में पहले ही जा चुका है जेल :

30 अप्रैल 2025 को ग्राम त्रिशोढ (थाना पत्थलगांव क्षेत्र) में एक सार्वजनिक सभा में भड़काऊ भाषण देने और शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उक्त मामले में BNS की धाराएं 121(1), 132, 221 और 223 के तहत जेल भेजा गया। लेकिन लगता है जेल की सलाखों के पीछे भी नफ़रत की भाषा पर विराम नहीं लगा।

क्या यह अधिकारों की लड़ाई है या समाज को तोड़ने की योजना? :

 प्रश्न अब बड़ा है क्या रूपनारायण एक्का ‘जनहित’ के नाम पर समाज को जातीय खांचों में बांटने का एजेंडा चला रहे हैं? क्या ये कथित एक्टिविज़्म नहीं, बल्कि सोची-समझी नफरत की रणनीति है?…

कानून का डंडा या समाज का बहिष्कार? :

जशपुर की जनता इस बार खामोश नहीं है। सोशल मीडिया पर विरोध की लहर चल पड़ी है। मांग उठ रही है कि ऐसे जातिवादी तत्वों को न केवल सख्त सजा दी जाए, बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से भी बहिष्कृत किया जाए।

“जहर बोने वालों के खिलाफ अब आवाज़ उठेगी – समाज टूटने नहीं देंगे!”

 

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