Cgnews: 96% अंकों के साथ प्रिती साहू ने मारी बाज़ी, रावनाभाटा गांव की बेटी बनी पूरे क्षेत्र की शान!

गरियाबंद/छुरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (CGBSE) की दसवीं बोर्ड परीक्षा में इस बार एक चमकता सितारा उभरा है — ग्राम रावनाभाटा (ग्राम पंचायत टेंगनाबासा, जिला गरियाबंद) की बेटी प्रिती साहू ने 96 प्रतिशत अंक अर्जित कर न सिर्फ अपने माता-पिता और विद्यालय, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है।
प्रिती इस समय नवीन प्रयास आवासीय विद्यालय, बिलासपुर में अध्ययनरत हैं और उन्होंने परीक्षा में अनुशासन, आत्मविश्वास और नियमित परिश्रम के बलबूते यह अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है।
सपनों की उड़ान: खुद से की पढ़ाई, हासिल की ऊँचाई
जहां आज की पीढ़ी कोचिंग और ट्यूशन पर निर्भर होती जा रही है, वहीं प्रिती साहू ने मिसाल पेश करते हुए बिना किसी ट्यूशन के यह शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया,
“मैंने कोचिंग पर नहीं, आत्मनिर्भरता पर भरोसा किया। हर विषय को समझने की कोशिश की, शिक्षकों से मार्गदर्शन लिया और डिजिटल माध्यमों, खासकर यूट्यूब से तैयारी को मजबूत किया।”
प्रिती का मानना है कि घंटों तक किताबें खोलकर बैठना नहीं, बल्कि फोकस और नियमितता ही असली कुंजी है।
सोशल मीडिया नहीं बना बाधा, बल्कि बना साधन
आज की युवा पीढ़ी जहां सोशल मीडिया में उलझकर अपना लक्ष्य भटकाती है, वहीं प्रिती ने इसका सकारात्मक उपयोग कर एक नई दिशा दिखाई। उन्होंने कहा,
“अगर सोच सही हो, तो सोशल मीडिया भी शिक्षा का साधन बन सकता है। बस जरूरत है संयम और चयन की।”
गांव में खुशी की लहर, लोग बोले — ये है असली ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का उदाहरण
प्रिती की सफलता पर गांव में उत्सव जैसा माहौल है। ग्राम उपसरपंच रेखचंद साहू, सेवानिवृत्त प्रधानपाठक गैंदालाल ध्रुव, समाजसेवी शीतल ध्रुव, संतोष सोरी, होरीलाल साहू, तुलेश साहू (पंच), पुनितराम ठाकुर सहित समस्त ग्रामवासियों ने प्रिती को फूलों से स्वागत करते हुए बधाई दी।
गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने इसे गांव के इतिहास में गौरवपूर्ण क्षण बताया और कहा,
“जब गांव की बेटियाँ ऐसे कीर्तिमान स्थापित करती हैं, तो समाज को दिशा मिलती है। प्रिती ने हमारे गांव की पहचान बदल दी है।”
परिवार की प्रेरणा और संघर्ष की कहानी
प्रिती के पिता कमलेश कुमार साहू और माता मीना साहू ने बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व जताया। उन्होंने बताया कि प्रिती बचपन से ही मेहनती और पढ़ाई को लेकर गंभीर रही हैं।
“हमने उसे हमेशा आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी और उसकी हर जरूरत में साथ खड़े रहे। उसका यह सपना, अब हमारा गर्व बन गया है।” – पिता कमलेश साहू
अब लक्ष्य – बनना है डॉक्टर या प्रशासनिक अधिकारी
प्रिती अब आगे की पढ़ाई में मेडिकल या प्रशासनिक सेवा (IAS) की दिशा में जाना चाहती हैं। वह कहती हैं:
“मैं चाहती हूँ कि मेरे जैसे गांव के और भी बच्चे बड़ी सोच रखें और आगे बढ़ें। शिक्षा ही वह ताकत है जो गांव की तस्वीर बदल सकती है।”
“छोटी जगह से बड़ा सपना लेकर निकली हूँ” – प्रिती साहू
छत्तीसगढ़ की इस प्रतिभाशाली बिटिया की कहानी, न सिर्फ एक सफलता की दास्तान है, बल्कि हर उस विद्यार्थी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी असीमित ऊँचाइयों को छूना चाहता है।