ब्रेकिंग न्यूज़: शादी की शहनाइयाँ थमीं, बहाव में बह गई ज़िंदगी! एनीकेट में डूबे युवक की SDRF ने 18 घंटे बाद लाश निकाली!

ब्रेकिंग न्यूज़: शादी की शहनाइयाँ थमीं, बहाव में बह गई ज़िंदगी! एनीकेट में डूबे युवक की SDRF ने 18 घंटे बाद लाश निकाली!

रिपोर्टिंग: धनंजय गोस्वामी

डोंगरगांव (गंगा प्रकाश)। जश्न से मातम तक… कुछ ही पलों में बदल गया खुर्सीटीकुल गांव का माहौल, जब शादी में आए एक युवक की नहाते वक्त एनीकेट में डूबकर मौत हो गई। बहाव इतना तेज था कि युवक पलक झपकते ही गायब हो गया। 18 घंटे बाद SDRF की टीम ने शव बरामद किया — तब जाकर थमी परिजनों की चीख-पुकार।

शादी में आया मेहमान लाश बनकर लौटा!

25 वर्षीय देव कुमार चोरिया, जो बालाघाट के ग्राम रूपझर से खुर्सीटीकुल गांव में शादी समारोह में शामिल होने आया था, अपने दोस्तों के साथ 9 मई की दोपहर ग्राम सांकरदाहरा के एनीकेट में नहाने गया। युवाओं की टोली में उत्साह था, गर्मी से राहत की उम्मीद थी — लेकिन किसी को क्या पता था कि ये नहाना ज़िंदगी का आखिरी स्नान साबित होगा।

तेज बहाव ने ली जान — एनीकेट बना जलसमाधि

नहाते समय देव एनीकेट के पास कूद गया, मगर तब तक एनीकेट के गेट खुले थे और पानी का बहाव खतरनाक हद तक तेज हो चुका था। देव देखते ही देखते पानी में समा गया। दोस्त शोर मचाते रह गए, पर लहरों ने उसे निगल लिया।

चीखते-चिल्लाते परिजन, भागती पुलिस-प्रशासन की टीमें!

घटना की खबर मिलते ही पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग, एएसपी राहुलदेव शर्मा और एसडीओपी दिलीप सिसोदिया मौके पर पहुंचे। नगर सेना की टीम ने तत्काल रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन अंधेरा और जलप्रवाह ने हर प्रयास को विफल कर दिया।

18 घंटे की जंग… और फिर मिला शव!

10 मई की सुबह दुर्ग से बुलाई गई SDRF की विशेष गोताखोर टीम ने दुबारा सर्च ऑपरेशन शुरू किया। घंटों की तलाश के बाद सुबह 7:30 बजे, युवक का शव एनीकेट के पास झाड़ियों में फंसा मिला। शव देखते ही परिजन बिलख पड़े — किसी की आंखें सूनी हो गईं, किसी का कलेजा चीर गया।

जश्न के बीच मातम, ढोल-नगाड़े हुए खामोश!

जहां कल तक बैंड-बाजे की गूंज थी, वहीं आज चीखों और सिसकियों की गूंज सुनाई दी। दुल्हन के हाथों की मेंहदी सूख भी नहीं पाई थी कि घर मातम से घिर गया।

प्रशासन पर उठे सवाल: सुरक्षा इंतज़ाम क्यों नहीं?

ग्रामीणों का कहना है कि यह एनीकेट कई बार हादसों का कारण बन चुका है। लेकिन न कोई चेतावनी बोर्ड, न बैरिकेडिंग, न कोई स्थायी सुरक्षा उपाय!

क्या प्रशासन को किसी और की जान जाने का इंतजार है?

पुलिस ने की कार्रवाई, परिजन सदमे में

पुलिस ने मर्ग पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और फिर परिजनों को सौंप दिया गया। देव की मौत ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि —

“हमारी लापरवाहियां कब तक मासूम ज़िंदगियां लीलती रहेंगी?”

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