Cgnews: दलदल में डूबा मासूम शावक, हाथी दल से बिछड़कर जंगल में भटका — दर्दनाक मौत से क्षेत्र में शोक की लहर

Cgnews: दलदल में डूबा मासूम शावक, हाथी दल से बिछड़कर जंगल में भटका — दर्दनाक मौत से क्षेत्र में शोक की लहर

 

रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के जंगलों में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक नन्हा हाथी शावक दल से बिछड़ गया और गहरे दलदल में फंसकर उसकी दर्दनाक मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के कटंगडीही जंगल के 1271 आरएफ अंतर्गत खोखोरोआमा के मछरीछिचरा डहर क्षेत्र में हुआ।

हाथियों की हलचल से पहले ही सतर्क था जंगल

जानकारी के मुताबिक, रायगढ़ के जंगलों में इन दिनों लगभग 200 जंगली हाथी विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से विचरण कर रहे हैं। यह दल आसपास के खेतों और गांवों में भी नुकसान पहुँचा चुका है, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। वन विभाग इन हाथियों की गतिविधियों पर निगरानी तो रख रहा है, लेकिन इतने बड़े क्षेत्रफल में फैले जंगल में पूर्ण नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा।

दल से बिछड़ा और फंसा जिंदगी-मौत के बीच

बताया जा रहा है कि मृत शावक करीब 1 वर्ष का था और किसी कारणवश अपने झुंड से बिछड़ गया था। अकेला, भूखा-प्यासा यह मासूम जंगल में इधर-उधर भटकता रहा और अंततः मछरीछिचरा डहर के कीचड़ भरे दलदल में फंस गया। दलदल में धँसते-धँसते शावक की सांसें थम गईं और कुछ ही घंटों में उसकी मौत हो गई।

सूचना मिलते ही हरकत में आया वन अमला

घटना की जानकारी मिलते ही घरघोड़ा वन परिक्षेत्र अधिकारी अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर पहुँचे। दलदल में फंसे शव को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार, शावक की हालत देख विशेषज्ञ भी स्तब्ध रह गए।

वन विभाग द्वारा घटनास्थल की वीडियोग्राफी और पंचनामा तैयार किया जा रहा है, ताकि मौत के कारणों की पुष्टि कर आगे की कार्रवाई की जा सके। पोस्टमार्टम के बाद शव को नियमानुसार नष्ट किया जाएगा।

जंगलों में खतरा बढ़ा, मानव-वन्यजीव संघर्ष की नई चिंता

यह हादसा केवल एक हाथी शावक की मौत भर नहीं है, बल्कि यह जंगलों में बढ़ते मानव हस्तक्षेप, तेजी से कम होते प्राकृतिक जलस्रोतों और वन्यजीवों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली तस्वीर भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी घटनाओं पर तुरंत रोक नहीं लगी, तो आने वाले समय में वन्यजीवों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

स्थानीय लोगों की भावुक प्रतिक्रिया

घटना से आसपास के गांवों में भी शोक का माहौल है। कई ग्रामीणों ने कहा, “हमने पहली बार किसी मासूम जानवर को ऐसे तड़पते देखा। उसकी आंखों में डर था, मगर मदद के लिए कोई नहीं था।”

वन विभाग पर उठे सवाल

हालांकि वन विभाग स्थिति को संभालने की कोशिश में लगा है, लेकिन क्षेत्रीय लोगों और वन्यजीव प्रेमियों द्वारा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि शावक की जान समय पर कार्रवाई से बचाई जा सकती थी।

यह घटना एक चेतावनी है — जंगलों की खामोशी में गूंजती एक मासूम की अंतिम चीख।

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