शावक की मौत के अगले ही दिन जंगल से निकला मौत का साया — पानीखेत में बाड़ी देखने गए किसान को हाथी ने कुचला, दर्दनाक मौत

रायगढ़/पानीखेत (गंगा प्रकाश)। रायगढ़ जिले के जंगलों में इंसान और वन्यजीवों के बीच टकराव की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। शावक हाथी की रहस्यमयी मौत की खबर से पूरा इलाका अभी उबरा भी नहीं था कि अगले ही दिन एक और भयावह घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया।
14 मई की शाम करीब 6 बजे, पानीखेत गांव का निवासी महेत्तर (पुत्र डोकरी, उम्र 40 वर्ष) रोज़ की तरह खाजाखार क्षेत्र में स्थित अपनी बाड़ी की देखभाल के लिए निकला था। लेकिन उसे क्या पता था कि आज का दिन उसके जीवन का अंतिम दिन साबित होगा।
जैसे ही महेत्तर अपनी बाड़ी के पास पहुंचा, एक बेकाबू जंगली हाथी ने उस पर हमला कर दिया। चश्मदीदों के अनुसार, हाथी बेहद आक्रोशित अवस्था में था और उसने महेत्तर को जमीन पर पटकते हुए बुरी तरह कुचल दिया। हमले में किसान की जांघ और पैर पूरी तरह टूट चुके थे, और शरीर के अन्य हिस्सों में भी गहरी चोटें आई थीं।
स्थानीय लोगों ने किसी तरह घायल को उठाकर तत्काल घरघोड़ा अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, परन्तु ज्यादा खून बह जाने और गंभीर आंतरिक चोटों के कारण महेत्तर ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
वन विभाग और पुलिस सक्रिय
घटना की सूचना मिलते ही घरघोड़ा वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मामले की पूरी जानकारी पूंजीपथरा थाना को दी गई। पुलिस ने शव पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग पर सवाल
इस हृदयविदारक घटना के बाद पूरे इलाके में भय और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से इलाके में जंगली हाथियों की आवाजाही बढ़ गई है, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों ने सुरक्षा इंतज़ामों की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
क्या है शावक की मौत और हमले का संबंध?
13 मई को पास के ही जंगल में एक हाथी के शावक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। वन विभाग जांच में जुटा था, लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या आज का हमला उस मौत से जुड़ा हुआ बदले की भावना है? विशेषज्ञों के अनुसार हाथी बहुत संवेदनशील और सामाजिक जीव होते हैं, और शावक की मौत के बाद झुंड का आक्रामक हो जाना असामान्य नहीं है।
अब सवाल यह है:
- क्या वन विभाग आने वाले दिनों में और घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति अपनाएगा?
- क्या किसान और ग्रामीण खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे?
जवाब तो आने वाला वक्त देगा, लेकिन फिलहाल पानीखेत गांव शोक और दहशत के साये में है।