“अब ज़मीन नहीं बिकेगी… बिकेगा तो जेल जाएगा!” छत्तीसगढ़ भू-संशोधन कानून का बड़ा धमाका — तीन धाराओं से माफिया का खेल खत्म!
रायगढ़/छत्तीसगढ़ (गंगा प्रकाश)।छत्तीसगढ़ में ज़मीन को लेकर चल रहे खेल पर सरकार ने अब ऐसा वार किया है जो सीधे दिल और दलाल — दोनों को चीर देता है। अब न दलाली चलेगी, न मुनाफे की खेती, और न खनन के नाम पर ज़मीनों की लूट।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की भू राजस्व संहिता में ऐतिहासिक संशोधन कर यह साफ कर दिया है कि “अब जनता बिकेगी नहीं, अब ज़मीन की दलाली पर ताले लगेंगे।”
तीन धाराएं, एक क्रांति: अब कोई बहाना नहीं चलेगा
सरकार ने तीन नई धाराओं को लागू कर ज़मीन घोटालों पर तगड़ा शिकंजा कस दिया है:
1. धारा 165 (7ग):
अगर किसी ज़मीन के लिए भूमि अर्जन की चर्चा भी शुरू हो जाए — यानी प्रस्ताव बनना, अधिसूचना आना या कोई संकेत भर मिलना — तो उस ज़मीन की रजिस्ट्री तत्काल रुक जाएगी।
मतलब: अब कोई भी ज़मीन सरकार को पता लगने के बाद हाथ बदल ही नहीं सकती।
2. धारा 172 (2क):
अगर किसी ज़मीन पर खनन की योजना या आशय पत्र जारी हो गया — और फिर आपने उस ज़मीन का उपयोग बदला (डायवर्सन किया) — तो ये अब आपराधिक हरकत मानी जाएगी।
मतलब: मुनाफे के लिए खनन के नाम पर डायवर्सन करने का खेल खत्म।
3. धारा 178-ख (6):
ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे बेचना, बंटवारा करना — यह अब पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
मतलब: “थोड़ा-थोड़ा काट के सबको खिलाओ” वाला फार्मूला अब कानून के नीचे दब चुका है।
कलेक्टर का साफ अल्टीमेटम:
“अब सौदा नहीं, सेवा चलेगी — नहीं तो नौकरी और नाम दोनों जाएंगे”
रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने इस कानून को सख्ती से लागू करने की चेतावनी दे दी है। उन्होंने सभी एसडीएम, तहसीलदारों और रजिस्ट्रारों को कड़ा संदेश देते हुए कहा:
“अगर एक भी ज़मीन नियम के खिलाफ ट्रांसफर हुई, तो संबंधित अधिकारी की नौकरी, पद, और सम्मान — तीनों जब्त कर लिए जाएंगे।”
इस कानून से किसे लाभ और किसे झटका?
लाभ:
- आदिवासी समुदाय: अब उनकी पुश्तैनी ज़मीनें खनन कंपनियों की बलि नहीं चढ़ेंगी।
- किसान और ग्रामीण: मजबूरी में ज़मीन बेचने की नौबत आए, उससे पहले सरकार की सुरक्षा ढाल बन जाएगी।
- ईमानदार अफसर: अब व्यवस्था साफ, निर्देश स्पष्ट — सेवा करें, तो सम्मान मिलेगा।
झटका:
- ज़मीन दलाल और बिचौलिए: अब उनका धंधा बंद। एक इंच ज़मीन भी बिना सरकार की अनुमति नहीं हिलेगी।
- खनन कंपनियां: अब उन्हें मुआवजा और वैध प्रक्रिया से ही ज़मीन लेनी होगी, कोई “पिछले दरवाज़े” से काम नहीं।
- रियल एस्टेट लॉबी: अब डायवर्सन और बंटवारे का खेल नहीं चलेगा, प्लॉटिंग करके मुनाफा काटने का सपना टूटा।
सत्ता का नया संदेश — “तेरी रजिस्ट्री नहीं चलेगी!”
सरकार ने इस कानून के ज़रिए साफ कर दिया है कि:
“जिस ज़मीन पर सरकार की निगाह पड़ी, उस पर अब तेरी रजिस्ट्री नहीं चलेगी, तेरी चालाकी नहीं चलेगी, तेरी अदालतें भी नहीं चलेंगी!”
छत्तीसगढ़ में अब ज़मीन का मतलब होगा – जनता का अधिकार, न कि जमाखोरों का व्यापार।