Cg सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्र में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर पुलिस की सख्ती — मोबाइल दुकानों को भी दी गई सख्त हिदायतें

Cg सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्र में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर पुलिस की सख्ती — मोबाइल दुकानों को भी दी गई सख्त हिदायतें

 

गरियाबंद/देवभोग (गंगा प्रकाश)। सुदूरवर्ती आदिवासी अंचल गरियाबंद जिला के देवभोग थाना क्षेत्र में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा ग्रामीणों से कर्ज की वसूली के नाम पर अपनाए जा रहे आपत्तिजनक और डराने-धमकाने वाले तरीकों पर अब पुलिस प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद थाना स्तर पर कार्रवाई तेज करते हुए फाइनेंस कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वसूली के नाम पर किसी भी प्रकार की गैरकानूनी या अमानवीय हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

आदिवासी क्षेत्र में लोन वसूली विवाद

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में कुछ ग्रामीण महिलाओं ने देवभोग थाना पहुँचकर शिकायत की थी कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एजेंट घर आकर धमकी दे रहे हैं, सार्वजनिक रूप से अपमानित कर रहे हैं और कई मामलों में महिलाओं को डराने के लिए उनके पति और परिजनों को झूठे मामलों में फँसाने की बात कह रहे हैं। इन मामलों में कुछ महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि एजेंट उनके राशन कार्ड, आधार कार्ड और यहां तक कि जमीन के दस्तावेजों की फोटो लेकर धमकियाँ दे रहे हैं कि लोन नहीं चुकाने पर ज़मीन जब्त करवा दी जाएगी।

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इन गंभीर शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए देवभोग थाना प्रभारी ने त्वरित पहल करते हुए संबंधित माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के स्थानीय प्रतिनिधियों को थाने बुलाकर सख्त फटकार लगाई। थाना प्रभारी ने निर्देश दिया कि वसूली की प्रक्रिया पूरी तरह से दस्तावेजी और कानूनी होनी चाहिए। ग्रामीणों को डराना, मानसिक प्रताड़ना देना, या सामाजिक रूप से अपमानित करना अपराध की श्रेणी में आता है, जिस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

“आदिवासी क्षेत्रों में भोले-भाले ग्रामीणों को आर्थिक जाल में फँसाकर माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ जिस तरह की वसूली कर रही हैं, वह चिंताजनक है। ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी,” — थाना प्रभारी, देवभोग

देवभोग थाना पुलिस कार्रवाई

फाइनेंस प्रतिनिधियों को यह भी समझाया गया कि यदि किसी उधारकर्ता द्वारा ऋण की किश्त समय पर नहीं चुकाई जा रही है, तो उस स्थिति में नियमानुसार नोटिस भेजा जाए, कर्ज वसूली न्यायिक प्रक्रिया के तहत की जाए, न कि दबाव या धमकी से।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद देवभोग क्षेत्र के लोगों में थोड़ी राहत देखी जा रही है, लेकिन कई ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस पर निगरानी बनाए रखे और आवश्यकतानुसार समय-समय पर ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता शिविर भी लगाए जाएँ, ताकि ग्रामीण अपनी वित्तीय और कानूनी स्थिति को समझ सकें।

सिम और मोबाइल शॉप संचालकों की मीटिंग, फर्जीवाड़ा रोकने सख्त निर्देश

इसी क्रम में देवभोग थाने में क्षेत्र के सिम कार्ड और मोबाइल शॉप संचालकों की एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित की गई। इस बैठक में मोबाइल सिम कार्ड के अवैध उपयोग, फर्जी KYC, और साइबर अपराधों में इन दुकानों की संभावित भूमिका पर गंभीर चिंता जताई गई। थाना प्रभारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिना पूर्ण पहचान के सिम कार्ड बेचना, एक व्यक्ति के नाम पर कई सिम जारी करना, या बिना ग्राहक की जानकारी के उनके नाम से सिम एक्टिव करना गंभीर अपराध है और इस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।

दुकानदारों को यह निर्देश दिए गए कि वे हर ग्राहक का आधार सत्यापन करें, डिजिटल रिकॉर्ड रखें, और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तत्काल पुलिस को दें। बैठक में यह भी बताया गया कि कई साइबर अपराधों में ऐसे फर्जी सिम कार्डों का उपयोग हो रहा है, जिनकी जानकारी दुकानदारों के पास नहीं होती। इस वजह से साइबर अपराध की जांच में बाधा आती है।

गरियाबंद पुलिस फाइनेंस मीटिंग

“आज मोबाइल और इंटरनेट हर व्यक्ति की पहुँच में है, लेकिन यही माध्यम जब अपराध का औजार बन जाए तो बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इसलिए मोबाइल दुकानदारों की भूमिका अब बेहद जिम्मेदार हो गई है,” — देवभोग पुलिस

बैठक में क्षेत्र के लगभग दो दर्जन मोबाइल दुकानदार शामिल हुए और उन्होंने प्रशासन को विश्वास दिलाया कि वे निर्देशों का पूरी तरह पालन करेंगे।

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आदिवासी क्षेत्र में प्रशासन की सख्ती जरूरी कदम

देवभोग क्षेत्र गरियाबंद जिले के सबसे पिछड़े और आदिवासी बहुल इलाकों में से एक है। यहाँ परिक्षेत्रीय अज्ञानता, अशिक्षा और गरीबी के चलते माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ और बाहरी एजेंट लंबे समय से अपना दबदबा बनाए हुए हैं। अनेक ग्रामीण बिना शर्तों को समझे ऋण ले लेते हैं और बाद में बुरी तरह फँस जाते हैं। इसी का फायदा उठाकर कई कंपनियाँ मनमानी वसूली करती हैं।

इस नई कार्रवाई से संकेत स्पष्ट हैं — प्रशासन अब आदिवासी क्षेत्रों में किसी भी तरह की शोषणकारी व्यवस्था को बर्दाश्त नहीं करेगा। पुलिस द्वारा उठाया गया यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक न्याय और कानूनी व्यवस्था की दिशा में सराहनीय माना जा रहा है।

देवभोग थाना पुलिस कार्रवाई

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