CG : “मोर गांव – मोर पानी” अभियान से गाँवों में जागी जल चेतना: पोड़ी उपरोड़ा में क्लस्टर स्तरीय प्रशिक्षण से मिला जल संरक्षण का नया विजन

मोर गांव मोर पानी अभियान

CG : “मोर गांव – मोर पानी” अभियान से गाँवों में जागी जल चेतना: पोड़ी उपरोड़ा में क्लस्टर स्तरीय प्रशिक्षण से मिला जल संरक्षण का नया विजन

 

कोरबा/पोड़ी/उपरोड़ा (गंगा प्रकाश)। “मोर गांव – मोर पानी” “जल है तो कल है”—यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि अब छत्तीसगढ़ के गाँवों में एक आंदोलन का रूप ले चुका है। राज्य शासन द्वारा चलाए जा रहे “मोर गांव – मोर पानी” महाअभियान ने ग्रामीण विकास को नई दिशा दी है। इस क्रम में 2 से 5 जून तक पूरे प्रदेश में जनपद स्तर पर चल रहे क्लस्टरवार प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत, पोड़ी उपरोड़ा जनपद कार्यालय में 3 जून को एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसने ग्रामीणों के बीच जल संरक्षण और संवर्धन को लेकर चेतना की नई लहर जगा दी।

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गांव-गांव तक पहुँचेगा जल क्रांति का संदेश

जनपद अंतर्गत आने वाले विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंच, पंच, सचिव, रोजगार सहायक, मेट एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की टीम के सदस्यों ने इस प्रशिक्षण में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम को मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी श्री दिलीप कुमार मेहता के मार्गदर्शन में संचालित किया गया। तकनीकी सहायकों ने प्रोजेक्टर और वीडियो की सहायता से जल संरक्षण की नवीन तकनीकों, संरचनाओं और परियोजनाओं की बारीक जानकारियाँ साझा कीं।

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प्रशिक्षण में इन बिंदुओं पर दिया गया विशेष जोर:

  • नवीन तालाब निर्माण और तालाबों के गहरीकरण से जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के उपाय
  • नरवा विकास के तहत छोटे-छोटे नालों को जीवित कर वर्षा जल संचयन
  • सोख्ता गड्ढा निर्माण के जरिए घरों और सार्वजनिक स्थानों में जल रिसाव रोकना
  • वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के साथ जल चक्र को संतुलित रखना
  • वाटर शेड परियोजनाओं के जरिए प्राकृतिक जल प्रवाह को दिशा देना और भू-जल पुनर्भरण

कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि किस प्रकार जल का विवेकपूर्ण उपयोग कर भूजल स्तर में गिरावट, भूमि क्षरण, और खेतों की उर्वरता में कमी जैसे समस्याओं से निपटा जा सकता है। ग्रामीणों को यह संदेश भी दिया गया कि जल सिर्फ एक संसाधन नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा है।

प्रशिक्षण में दिलाई गई “जल शपथ”

प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को “जल शपथ” दिलाई गई, जिसमें उन्होंने अपने गांव, खेत, घर और आस-पास के इलाकों में जल बचाने और जल संरक्षण के प्रयासों को गंभीरता से अपनाने की प्रतिज्ञा ली। यह शपथ सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत और सामाजिक संकल्प के रूप में ली गई।

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जागरूकता रैली और जन सहभागिता की अपील

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में यह निर्देश दिया गया कि सभी ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण पर केंद्रित जागरूकता रैलियों और कार्यक्रमों का आयोजन अनिवार्य रूप से किया जाए। इसमें स्कूली बच्चों, युवाओं, महिलाओं और किसान समूहों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि यह मुहिम जन-जन तक पहुंचे।

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जनपद स्तर पर प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय उपस्थिति

इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) जयप्रकाश डड़सेना, आरईएस विभाग के एसडीओ सहित जनपद कार्यालय के समस्त अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। साथ ही जनप्रतिनिधियों की भागीदारी ने इस प्रशिक्षण को और अधिक व्यापक और प्रभावशाली बनाया।

सीईओ श्री डड़सेना ने प्रशिक्षण सत्र में कहा,

“जल संरक्षण आज की नहीं, आने वाले सौ वर्षों की जरूरत है। शासन की यह योजना तभी सफल होगी जब हर नागरिक इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपनाएगा।”

नया विजन, नई ऊर्जा

“मोर गांव – मोर पानी” अभियान ने ग्रामीणों के मन में यह स्पष्ट कर दिया है कि अब विकास सिर्फ सड़कों और भवनों से नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संवर्धन से मापा जाएगा। पोड़ी उपरोड़ा में हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि जब सरकार की योजना, प्रशासन की सक्रियता और जनता की भागीदारी एक साथ आती है, तो कोई भी आंदोलन जन-जागरूकता में बदल सकता है।

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