CG: रुवाड़ पंचायत में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ बनी भ्रष्टाचार की नजीर — करोड़ों की लूट उजागर, आदिवासी परिवारों के साथ खुला छल

छुरा (गंगा प्रकाश)। छुरा जनपद के आदिवासी बहुल रुवाड़ पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G) एक कल्याणकारी योजना से बदलकर भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई है। योजना के तहत जिन गरीब आदिवासी परिवारों को पक्का मकान मिलना था, उन्हें आज भी खुले आसमान के नीचे जीना पड़ रहा है — जबकि कागज़ों में उनके मकान पूरे हो चुके हैं और सरकारी पैसा भी निकल चुका है।

2018 से 2025 के बीच कागज़ों में बने 30+ मकान, ज़मीन पर अधूरे या गायब
स्थानीय मीडिया की पड़ताल में सामने आया है कि साल 2018-19 से 2024-25 तक रुवाड़ पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 30 से अधिक मकान स्वीकृत किए गए। प्रत्येक मकान पर औसतन ₹1.20 लाख की राशि स्वीकृत हुई — कुल मिलाकर ₹36 लाख से अधिक की सरकारी राशि खर्च बताई गई।
लेकिन जब रिपोर्टर ने गांव में जमीनी सत्यापन किया, तो अधिकतर लाभार्थियों के घर या तो अधूरे मिले या वहां निर्माण का नामोनिशान ही नहीं था। कहीं सिर्फ नींव थी, कहीं दीवारें अधूरी, तो कहीं महज़ जर्जर झोपड़ियां।
चार परतों में फैला घोटाला
फर्जी जियो टैगिंग:
PMAY पोर्टल पर लाभार्थी के पुराने मकान या किसी और का निर्माण कार्य “पूर्ण” दिखाकर अपलोड कर दिया गया। लोकेशन भी फर्जी — फोटो भी फर्जी।
रिश्वतखोरी की खुली मांग:
लाभार्थियों से ₹3000 से ₹7000 तक की रिश्वत मांगी गई। कुछ ने उधार लेकर पैसे दिए, लेकिन मकान आज भी अधूरा है।
मूल्यांकन सिर्फ कागजों पर:
तकनीकी निरीक्षण के नाम पर कोई जांच नहीं हुई। कागजों पर तीनों स्तर — रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक और आवास प्रभारी — ने हस्ताक्षर कर दिए।
ऊंचे पदों की मौन सहमति:
जनपद पंचायत CEO, जिला पंचायत अधिकारी और कलेक्टर तक ने इस गड़बड़ी को अनदेखा किया। कोई जांच नहीं, कोई रिपोर्ट नहीं।
ग्रामीणों की पीड़ा – “पैसा लिया, मकान नहीं मिला”
एक बुजुर्ग आदिवासी ने कहा – “बोले कि मकान स्वीकृत हो गया है, फोटो खींचे और बोले पैसा आएगा। आज तक न मकान बना, न छत मिली।”
विधवा महिला बताती हैं – “₹5000 रिश्वत देकर भी मकान आधा ही बना। आज भी बारिश में बच्चों को लेकर बाहर बैठते हैं।”
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किसने निभाई क्या भूमिका?
पदनाम संभावित दोष/मिलीभगत
- आवास मित्र फर्जी जियो टैगिंग, रिश्वत मांगना
- रोजगार सहायक मस्टर रोल में गड़बड़ी
- तकनीकी सहायक झूठी मूल्यांकन रिपोर्ट
- जनपद पंचायत CEO सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही
- जिला पंचायत अधिकारी निरीक्षण व नियंत्रण में असफलता
- कलेक्टर गरियाबंद प्रशासनिक चूक, अब तक चुप्पी
मुख्यमंत्री का बयान – “कलेक्टर तक पर होगी कार्रवाई”
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रेस को दिए बयान में कहा –
“प्रधानमंत्री आवास योजना में यदि कोई भी गड़बड़ी पाई गई, तो नीचे से लेकर ऊपर तक सभी जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी। पैसे की मांग करने वाले कर्मचारी-अधिकारी पर FIR होगी।”
हालांकि सवाल यह है — क्या कार्रवाई सिर्फ छोटे कर्मचारियों तक सीमित रहेगी? या बड़े अधिकारी भी जवाबदेह बनेंगे?
जनता की मांगें
- सभी पंचायतों में PMAY-G का स्वतंत्र ऑडिट
- फर्जी निर्माण की राशि वसूली
- अधूरे मकानों का पुनर्निर्माण
- जिम्मेदारों को निलंबित कर FIR दर्ज की जाए
यह सिर्फ आर्थिक नहीं, नैतिक लूट है
यह घोटाला सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं है, बल्कि आदिवासी समाज के अधिकार, गरिमा और भरोसे की सीधी हत्या है। यदि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो कल कोई भी गरीब सरकारी योजना पर भरोसा नहीं करेगा।