CG NEWS: धर्मपुरा की ‘मिताली टेरर’ से हलकान वार्डवासी! 112 पुलिस की धमकी, गाली-गलौज और जमीन कब्जा मामला बना शहर की सुर्खी

जगदलपुर (गंगा प्रकाश)। धर्मपुरा के गुरु गोविंद सिंह वार्ड क्रमांक 36 में पिछले कई दिनों से एक पुरुष के कथित आतंक से वार्डवासी बेहद परेशान हैं। जिस मिताली को एक समय ‘सामान्य नागरिक’ समझा जाता था, वही अब पूरे मोहल्ले की परेशानी का कारण बन चुकी है। मामला केवल एक बांस के पेड़ तक सीमित नहीं है — इसमें बदतमीज़ी, धमकी, गाली-गलौज, ज़मीन कब्ज़ा और प्रशासन की अनदेखी का एक जटिल ताना-बाना है।

बांस का पेड़ बना शूल, पक्षियों की गंदगी ने बिगाड़ी वार्डवासियों की सेहत
विवाद की जड़ है एक बांस का पेड़, जो मिताली ने अपने घर के पीछे लगा रखा है। यह पेड़ अब आस-पास के लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। वार्डवासियों का कहना है कि इस पेड़ पर पक्षियों का जमावड़ा बना रहता है और वे जो गंदगी करते हैं, वह छत और घर के भीतर तक पहुंचती है।
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एक महिला ने रोते हुए कहा, “हम खाना नहीं खा पाते, छत पर खड़ा भी नहीं हो सकते। पूरी दीवार गंदी हो चुकी है। छोटे-छोटे बच्चे हैं, संक्रमण का खतरा बना रहता है। हमने विनम्रता से कहा कि पेड़ कटवा दो, लेकिन बदले में हमें मिली धमकी और अपमान।”
112 की धमकी से थर्राया मोहल्ला, मिताली बोला – “मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता”
जब वार्डवासियों ने मिताली से शिकायत की तो उन्होंने 112 पुलिस को बुलाने की धमकी दे डाला। यही नहीं, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मिताली ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा, “जो करना है कर लो, मैं किसी से नहीं डरता। मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।”
गाली-गलौज और अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर मिताली ने स्थिति को और भड़का दिया। मोहल्ले के बुज़ुर्गों और महिलाओं ने कहा कि यह न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि सामाजिक शांति के खिलाफ सीधा हमला है।
जमीन कब्जे का भी आरोप, शिकायतें हुईं दरकिनार
मामला यहीं नहीं रुकता। वार्डवासियों ने आरोप लगाया है कि मिताली ने मोहल्ले की कुछ जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया है। कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं लेकिन हर बार फाइलें दबा दी गईं।
एक बुजुर्ग ने कहा, “हमने पंचायत से लेकर नगर निगम तक शिकायत की। मगर न सुनवाई हुई, न कार्यवाही। मिताली हर बार किसी न किसी ‘संपर्क’ का हवाला देता है।”
प्रशासन की चुप्पी से नाराज़ लोग, कहा — ‘कब मिलेगा न्याय?’
मोहल्ले में अब आक्रोश की लहर है। लोग यह सवाल कर रहे हैं कि क्या कोई नागरिक कानून से ऊपर हो सकता है? क्या आम जनता की आवाज़ तब तक नहीं सुनी जाएगी जब तक बड़ा आंदोलन न हो जाए?
एक महिला ने तंज कसते हुए कहा, “क्या अब हमें खुद 112 पर फोन करके बोलना होगा कि हमें एक पुरुष से डर लग रहा है?”
स्थानीय युवाओं ने भी प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे नगर निगम के सामने धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
यह केवल एक मोहल्ले की लड़ाई नहीं, यह पूरे शहर के नागरिक अधिकारों का सवाल है
धर्मपुरा की यह घटना सिर्फ एक पेड़ या पुरुष तक सीमित नहीं है। यह पूरे शहर की उस व्यथा को दर्शाती है जहां कभी-कभी सामान्य लोग ‘प्रशासनिक उदासीनता’ के चलते ‘सामाजिक आतंक’ बन जाते हैं। जब एक तरफ आम जनता छोटे-छोटे मामलों में कानून का पालन करते हुए थाने के चक्कर काटती है, वहीं कुछ लोग खुलेआम कानून को चुनौती देते हैं और फिर भी बच निकलते हैं।
क्या बोले जिम्मेदार?
इस विषय पर जब वार्ड पार्षद से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, “हमें जानकारी मिली है, हम जल्द ही नगर निगम की टीम भेजकर जांच कराएंगे। किसी को भी दूसरे की सार्वजनिक जगह या शांति में बाधा डालने का अधिकार नहीं है।”
वार्डवासियों की मांग – पेड़ कटे, कब्जा हटे, मिताली पर हो कार्रवाई
वार्डवासी एकजुट होकर तीन मांगें कर रहे हैं:
- बांस का पेड़ तत्काल हटाया जाए।
- ज़मीन कब्जे की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाए।
- गाली-गलौज, धमकी और सामाजिक अशांति फैलाने के मामले में मिताली पर एफआईआर दर्ज की जाए।
धर्मपुरा का यह मामला प्रशासन के लिए चेतावनी है। जब आम नागरिक किसी एक व्यक्ति से इतना डरने लगे कि उन्हें पुलिस धमकी ही ‘दहशत’ लगे, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। अब देखना यह है कि क्या मिताली के ‘गुनाहों’ का अंत होगा, या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह दबा दिया जाएगा?