CG: थाने में गूंजा ‘हैप्पी बर्थडे’… गरियाबंद पुलिस ने दिव्यांग युवती का सपना सच कर दिखाया, शहरभर में हो रही तारीफ़

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। थाने में गूंजा ‘हैप्पी बर्थडे’… छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक दिन ऐसा भी आया जब पुलिस थाने की दीवारों से सिर्फ कानूनी चर्चा या फरियाद नहीं गूंजी, बल्कि वहां से ‘हैप्पी बर्थडे टू यू’ की स्नेहिल गूंज उठी। एक दिव्यांग युवती की मासूम इच्छा ने गरियाबंद पुलिस को ऐसा कदम उठाने को प्रेरित किया, जिसने पूरे जिले को भावुक कर दिया और पुलिस के प्रति आम जनता की सोच को एक नए आयाम तक पहुंचाया।
यह कहानी है गुजरा गांव निवासी दिव्यांग युवती परमेश्वरी कंवर की, जिसकी एक छोटी-सी ख्वाहिश थी—”एक बार मेरा जन्मदिन थाना परिसर में पुलिसकर्मियों के साथ मनाया जाए।” आम तौर पर यह ख्वाहिश अजीब लग सकती थी, लेकिन गरियाबंद पुलिस ने इसे दिल से स्वीकारा और न केवल पूरा किया, बल्कि इसे यादगार बना दिया।

थाना परिसर बना उत्सव स्थल
जब थाना प्रभारी ओमप्रकाश यादव को परमेश्वरी की इस विशेष ख्वाहिश के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने इसे पूरी संवेदनशीलता के साथ लिया। तुरंत ही अपनी टीम के साथ योजना बनाई और वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेकर परमेश्वरी के लिए थाना परिसर को सजाया गया, केक मंगवाया गया और पुलिसकर्मियों ने मिलकर इस आयोजन को खास बनाने की तैयारी की।
जैसे ही परमेश्वरी थाना पहुंची, तो पूरा स्टाफ उसके स्वागत में खड़ा था। चारों ओर रंग-बिरंगे गुब्बारे, सजावट और एक खूबसूरत केक उसके सामने था। पुलिस यूनिफॉर्म में सजे-धजे कर्मियों ने तालियों की गूंज के साथ उसे जन्मदिन की बधाई दी। जब ‘हैप्पी बर्थडे’ गूंजा, परमेश्वरी की आंखें छलक उठीं—लेकिन वह दुःख नहीं, सम्मान और खुशी के आंसू थे।
परमेश्वरी की आंखों से छलकते शब्द:
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि पुलिस जैसे सख्त माने जाने वाले लोग इतना अपनापन दिखाएंगे। यह मेरे जीवन का सबसे अनमोल दिन बन गया है। मैं आज खुद को समाज का हिस्सा महसूस कर रही हूं।”
थाना प्रभारी की सोच ने दिल जीत लिया
थाना प्रभारी ओमप्रकाश यादव ने आयोजन के बाद कहा:
“हमारे लिए यह सिर्फ एक बर्थडे नहीं था, यह एक संवेदनशील पुलिसिंग का उदाहरण था। जब हमें परमेश्वरी की ख्वाहिश के बारे में पता चला, तो लगा कि अगर हम उसकी ये छोटी-सी खुशी पूरी नहीं कर सके, तो हमारी ड्यूटी अधूरी रह जाएगी। इस आयोजन ने हमें भी मानवीय रूप से समृद्ध किया। उसकी मुस्कान हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।”
आयोजन के दौरान थाना परिसर में एक ऐसा माहौल था, मानो पुलिस नहीं, कोई परिवार हो। हर सिपाही ने बारी-बारी से परमेश्वरी को केक खिलाया। बुजुर्ग सिपाहियों ने आशीर्वाद दिया। युवा पुलिसकर्मियों ने सेल्फी ली और कुछ ने उसके साथ मिलकर गीत भी गाए।
शहर में हो रही सराहना, सोशल मीडिया पर वायरल
इस आयोजन की खबर जैसे ही शहर में फैली, लोगों ने पुलिस की इस संवेदनशील पहल की जमकर तारीफ की। सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां लोग कमेंट कर रहे हैं कि “अगर ऐसी पुलिस हर जिले में हो, तो समाज में बदलाव आना तय है।”
स्थानीय समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने भी इस पहल की खुलकर सराहना की। एक बुजुर्ग नागरिक ने कहा—
“मैं 60 साल से ज्यादा उम्र का हूं, पर आज पहली बार मुझे लगा कि पुलिस वास्तव में जनसेवक होती है। यह दृश्य देखकर दिल भर आया।”
वर्दी में भी धड़कता है एक दिल
यह आयोजन सिर्फ एक जन्मदिन नहीं था, बल्कि यह एक मानवीय संदेश था—कि वर्दी के पीछे भी एक भावुक दिल धड़कता है। आज जब पुलिस के प्रति अविश्वास की भावना समाज में कई बार देखी जाती है, तब ऐसे उदाहरण उन धारणाओं को तोड़ते हैं और जनता और पुलिस के बीच रिश्तों की डोर को मजबूत करते हैं।
एक नई शुरुआत की ओर
गरियाबंद थाना परिसर में गूंजा ‘हैप्पी बर्थडे’ केवल एक युवती के लिए नहीं था, वह पूरे समाज के लिए एक संदेश था कि सहानुभूति, अपनापन और इंसानियत—ये वर्दी के भीतर भी सांस लेते हैं।
थाना प्रभारी ओमप्रकाश यादव और उनकी टीम ने जो किया, वह पुलिसिंग का आदर्श मॉडल बन सकता है। समाज के सबसे कमजोर तबके तक अपनापन पहुंचाना ही एक सच्चे सेवक की पहचान होती है, और इस दिन गरियाबंद पुलिस ने वो पहचान बड़े सम्मान के साथ अर्जित की।