बजरमुड़ा का 300 करोड़ का मुआवजा घोटाला: जब सरकार का खज़ाना बना भ्रष्टाचारियों की लूट की थाली
— घोटाले की पहली बड़ी कार्रवाई में तत्कालीन SDM अशोक मार्बल निलंबित, लेकिन असली शिकारी अभी बाकी हैं!


रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले का बजरमुड़ा गांव इन दिनों पूरे राज्य में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कारण — एक ऐसा,मुआवजा घोटाला जिसे देखकर बोफोर्स और चारा घोटाले भी बौने लगें। यहां सरकार ने किसानों के नाम पर जो मुआवजा बांटा, वह असल में एक सुनियोजित लूट का औजार बन गया। करीब 300 करोड़ रुपये की यह सरकारी राशि एक संगठित गिरोह की भेंट चढ़ गई, जिसमें कथित तौर पर अफसर, पटवारी, दलाल और फर्जी लाभार्थी शामिल थे।
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अब जाकर इस घोटाले में पहली बड़ी कार्रवाई हुई है — तत्कालीन राजस्व अनुविभागीय अधिकारी (SDM) अशोक मार्बल को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया है। लेकिन इस कार्रवाई के साथ ही असली सवाल उठ खड़े हुए हैं: क्या सिर्फ एक SDM के निलंबन से इतनी बड़ी लूट का पर्दाफाश हो जाएगा? क्या बाक़ी लूटेरे बचे रहेंगे?
कैसे रचा गया 300 करोड़ का ‘कागज़ी चमत्कार’?
बजरमुड़ा में ज़मीन अधिग्रहण के दौरान किसानों को मुआवज़ा देने की प्रक्रिया में रिकॉर्ड तोड़ घोटाला हुआ। आरोप है कि:
- फर्जी किसानों के नाम पर ज़मीन दिखाकर मुआवज़ा पास कराया गया।
- मूल मालिकों को दरकिनार कर ‘कागज़ी मालिकों’ को करोड़ों की राशि दे दी गई।
- मूल दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर, बाज़ार दर से 5-10 गुना तक अधिक मुआवज़ा दर्शाया गया।
- कई ऐसे बैंक खातों में रकम भेजी गई, जिनका ज़मीन से कोई लेना-देना नहीं था।
कुल मिलाकर, यह घोटाला राजस्व विभाग की प्रणाली में गहरे बैठे भ्रष्टाचार और मिलीभगत को उजागर करता है।
शिकायतकर्ता दुर्गेश शर्मा का बयान: “यह लूट नहीं, जनधन का बलात्कार है”
इस पूरे घोटाले की परतें खोलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेश शर्मा ने राज्य सरकार से मांग की है कि:
- घोटाले में शामिल हर अफसर, बाबू और दलाल की गिरफ्तारी हो।
- फर्जी लाभार्थियों के बैंक खाते तुरंत सीज़ किए जाएं।
- मुआवजा राशि की वसूली हो और संपत्ति जब्त की जाए।
- इस घोटाले की CBI या उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच करवाई जाए।
दुर्गेश का आरोप है कि “यह घोटाला एक-दो लोगों की करतूत नहीं है, बल्कि एक संगठित गिरोह की साज़िश है, जिसमें राजस्व विभाग के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।”
घरघोड़ा के वर्तमान SDM पर भी लगे आरोप
दुर्गेश शर्मा ने रायगढ़ के कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी से सीधी शिकायत की है कि “वर्तमान SDM घोटाले की जांच को कमजोर कर रहे हैं और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी मांग की है कि “अगर राज्य सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है तो ऐसे अफसरों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।”
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राजनीतिक और प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल
रायगढ़ जिले में हुए इस घोटाले पर अब तक शासन-प्रशासन की ओर से केवल एक निलंबन की कार्रवाई सामने आई है। लेकिन इतने बड़े आर्थिक अपराध के बाद भी अब तक किसी बड़े राजस्व अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो इस घोटाले की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।
क्या राज्य सरकार घोटालेबाज़ अफसरों को बचाने में लगी है?
क्या यह मुआवजा योजना सिर्फ घोटाले का नया माध्यम बन गई है?
और क्या आम जनता का विश्वास अब सरकारी योजनाओं पर से पूरी तरह उठ जाएगा?
जनता की मांग: अब सिर्फ निलंबन नहीं, जेल चाहिए!
बजरमुड़ा घोटाला अब सिर्फ एक भ्रष्टाचार का मामला नहीं रहा, यह अब जनता के आत्मसम्मान और विश्वास का मुद्दा बन गया है। गाँव-गाँव में गुस्सा है, युवा सड़कों पर आने की तैयारी में हैं। हर कोई एक ही आवाज़ में कह रहा है:
“घोटालेबाज़ों को जेल भेजो!””जनता का पैसा लौटाओ!””बचाने वालों को भी सज़ा दो!”
अब सरकार की अग्निपरीक्षा!
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने जब सत्ता में कदम रखा था, तब उन्होंने “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” का वादा किया था। आज वही सरकार इस सबसे बड़े मुआवज़ा घोटाले पर कितनी सख्ती दिखाती है — यह आने वाले चुनावों में जनता का रुख तय करेगा।
👉 यदि सरकार दोषियों को सज़ा देती है, तो यह एक साहसी और ऐतिहासिक निर्णय होगा।
👉 अगर नहीं, तो यह संदेश जाएगा कि सत्ता बदलती है, सिस्टम नहीं।
यह सिर्फ घोटाला नहीं, यह लोकतंत्र पर हमला है। अब वक्त है — अपराधियों को सज़ा मिले और सिस्टम को जवाबदेह बनाया जाए!