CG: खाद संकट और नकली बीज का शिकंजा: गरियाबंद में फूटा किसानों का ग़ुस्सा, आम आदमी पार्टी ने किया कलेक्टर कार्यालय का घेराव

गरियाबंद खाद संकट

CG: खाद संकट और नकली बीज का शिकंजा: गरियाबंद में फूटा किसानों का ग़ुस्सा, आम आदमी पार्टी ने किया कलेक्टर कार्यालय का घेराव

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। खाद संकट और नकली बीज का शिकंजा: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल गरियाबंद जिले में खाद और बीज संकट ने किसानों की नींद उड़ा दी है। खरीफ सीजन की तैयारी कर रहे किसानों को जहां सहकारी समितियों में खाद नहीं मिल रही है, वहीं निजी दुकानों पर अमानक और महंगे बीज थमाए जा रहे हैं। किसानों की इस पीड़ा को लेकर आम आदमी पार्टी गरियाबंद जिला इकाई ने शुक्रवार ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।

गरियाबंद खाद संकट

खाद की किल्लत, किसानों की हताशा

आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष चमन यादव ने कहा कि गरियाबंद जिले की लगभग सभी प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) में डीएपी (DAP) खाद की भारी कमी है। किसान कई दिनों से समितियों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही। धान की बोनी शुरू होने को है और इस समय खाद की अनुपलब्धता किसानों की पूरी खेती को संकट में डाल सकती है।

उन्होंने बताया कि किसान अब निजी दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी हालात चिंताजनक हैं। निजी विक्रेता निर्धारित दर से कहीं अधिक दाम पर खाद बेच रहे हैं। बीजों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

काजोल ने हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी को बताया दुनिया की सबसे ‘हॉन्टेड’ जगहों में से एक, लोगों के यूं आए रिएक्शन https://gangaprakash.com/?p=76624

नकली बीज और विभागीय लापरवाही

चमन यादव ने दावा किया कि जिले में कई जगहों से नकली और अमानक बीज बेचने की शिकायतें मिली हैं। कृषि विभाग की टीम कभी-कभार औपचारिक जांच तो करती है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावे की होती है। जिन दुकानों में गड़बड़ी पाई जाती है, वहां कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती, जिससे फर्जी विक्रेताओं के हौसले बुलंद हैं।

किसानों को बिक्री रसीद तक नहीं दी जा रही। बीज की कीमत, उपलब्ध मात्रा और मानक की जानकारी दुकान की दीवार पर चस्पा करने का प्रावधान है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। किसानों को झांसा देकर घटिया बीज थमाया जा रहा है जिससे न केवल फसल चौपट होगी, बल्कि किसान कर्ज के दलदल में भी फंस सकते हैं।

गरियाबंद खाद संकट

प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि यह सब खेल कृषि विभाग और निजी व्यापारियों की मिलीभगत से चल रहा है। मैदानी अमला मिलीभगत से आंख मूंदे बैठा है। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों की मदद की बात तो करती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर स्थिति बेहद खराब है।

पार्टी ने यह भी कहा कि अमानक बीज और खाद की बिक्री से आदिवासी और गरीब किसान सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। गरियाबंद जैसे संवेदनशील जिले में यदि किसानों के साथ यह अन्याय होता रहेगा, तो उनकी पूरी साल की मेहनत और आजीविका दांव पर लग जाएगी।

विमान हादसे पर सनसनीखेज दावा, कर्मचारियों ने एक साल पहले ही दी थी बोइंग में खराबी की जानकारी http://gangaprakash.com/?p=76591

पूरे जिले में आपूर्ति ठप, 700 गांव प्रभावित

महासमुंद लोकसभा अध्यक्ष महेश यादव ने कहा कि गरियाबंद जिले के 700 से ज्यादा गांवों में खाद और बीज की आपूर्ति सुचारु नहीं हो पा रही है। किसानों को समितियों और दुकानों के बीच भटकना पड़ रहा है। समितियों के प्रबंधक किसानों की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं, जिससे असंतोष और तनाव लगातार बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि “हर साल यही स्थिति बनती है। किसानों को धोखा दिया जाता है, और जांच के नाम पर दिखावा होता है। अब किसानों का सब्र टूट रहा है।”

AAP की मांग: सख्त कार्रवाई और पर्याप्त आपूर्ति

आम आदमी पार्टी ने ज़िला प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:

  1. जिले में खाद और बीज की पर्याप्त व समान रूप से आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
  2. अमानक और नकली बीज व खाद बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
  3. निजी दुकानों की नियमित जांच कर कीमतों और गुणवत्ता पर निगरानी रखी जाए।
  4. किसानों को सभी सामग्री की रसीद देना अनिवार्य बनाया जाए।
  5. बीज और खाद की दर व स्टॉक की जानकारी दुकानों पर सार्वजनिक रूप से चस्पा की जाए।

प्रदर्शन में शामिल प्रमुख कार्यकर्ता

ज्ञापन सौंपने और विरोध प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें प्रमुख रूप से: हरीश कुमार पटेल (जिला अध्यक्ष, यूथ विंग),नंदलाल यादव (ब्लॉक अध्यक्ष, छुरा),मिलन बंजारे,बालेश्वर नागेश (यूथ विंग, छुरा),पुष्पक लाल जगत

छत्तीसगढ़ में किसानों की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। गरियाबंद जैसे पिछड़े जिले में अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संकट और बड़ा रूप ले सकता है। आम आदमी पार्टी की इस पहल ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य सरकार किसानों के हितों को लेकर गंभीर है, या फिर खानापूर्ति और भ्रष्टाचार की मिलीभगत से अन्नदाताओं की आवाज को अनसुना किया जाता रहेगा?

गरियाबंद खाद संकट

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *