देवी के दरबार में ठगी का खेल! नकली सोने का बिस्कुट गिरवी रख 30 हजार की ठगी, मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर का पुजारी भी शामिल — पुलिस अब तक मौन
कोरबा/बांकीमोंगरा (गंगा प्रकाश)। देवी के दरबार में “विश्वासठगी का खेल! “विश्वास”की चादर ओढ़े बैठे ठगों ने अब आस्था के नाम पर भी धोखे का जाल बिछा दिया है। कोरबा जिले के बांकीमोंगरा क्षेत्र में नकली सोने का बिस्कुट गिरवी रखकर 30 हजार रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस पूरे खेल में चैतुरगढ़ स्थित मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर के पुजारी सहित तीन लोगों की संलिप्तता उजागर हुई है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि दो महीने बीत जाने के बावजूद भी पुलिस अब तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है।

धोखे की पटकथा: कैसे रची गई ठगी की स्क्रिप्ट
बांकीमोंगरा थानांतर्गत ग्राम घुड़देवा निवासी कमलेश दास मानिकपुरी (पिता स्व. बंधन दास) ने बताया कि पाली थाना क्षेत्र के ग्राम जेमरा (खरौंजीपारा) निवासी धनसिंह गोंड़ और कुलंजन सिंह गोंड़ से उनकी पुरानी जान-पहचान थी। इसी भरोसे का फायदा उठाते हुए ये दोनों 13 मार्च 2025 को कमलेश के घर पहुंचे और एक पीले रंग की धातु की ईंट (बिस्कुट) को प्राचीन काल का सोना बताकर गिरवी रखने की बात कही।
झांसे में आए कमलेश ने बिना शंका किए 30 हजार रुपये नकद दे दिए और तय हुआ कि एक महीने बाद रकम लौटाकर उक्त बिस्कुट वापस ले लिया जाएगा। लेकिन एक महीना तो दूर, कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी न तो ठग लौटे और न ही उनका कोई संदेश आया। संदेह होने पर जब कमलेश ने उक्त बिस्कुट की जांच करवाई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ—वह नकली था!
आस्था की आड़ में ठगी: पुजारी का भी नाम सामने आया
कमलेश दास के अनुसार इस पूरे षड्यंत्र में चैतुरगढ़ के प्रसिद्ध मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर के पुजारी पुजेरी लाल पांडेय (निवासी ग्राम पोड़ी) भी शामिल थे। पुजारी ने उक्त पीली धातु को अपने पूर्वजों के समय की अमूल्य धरोहर बताकर इसे असली सोना बताते हुए कमलेश को भरोसे में लिया और रकम दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि 7 जून 2025 को थाने में लिखित शिकायत देने के बावजूद बांकीमोंगरा पुलिस ने अब तक न तो कोई एफआईआर दर्ज की है, और न ही प्राथमिक जांच शुरू की है। पीड़ित लगातार थाने के चक्कर काट रहा है, लेकिन पुलिस की लापरवाही ने उसके भरोसे को तोड़ दिया है।
कमलेश का आरोप और गुहार
पीड़ित कमलेश दास का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि भावनात्मक विश्वासघात है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर समय रहते न्याय नहीं मिला, तो वे आंदोलन करने या कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होंगे।
जनता पूछ रही है:
क्या मंदिर के नाम पर ठगी करने वालों को संरक्षण मिल रहा है?पुलिस कार्रवाई से क्यों बच रही है?क्या आस्था की आड़ में अपराधियों को खुली छूट मिल रही है?
अब सवाल यह है:
क्या कोरबा पुलिस ऐसे गंभीर मामले में जल्द कार्रवाई कर जनता का विश्वास बहाल करेगी या फिर ठगों को बेलगाम छोड़ दिया जाएगा?