महिला शक्ति सम्मान से सम्मानित हुई विभिन्न प्रतिभा सम्पन्न विशिष्ट महिलायें

अरविन्द तिवारी नई दिल्ली (गंगा प्रकाश)- मौजूदा दौर में महिलाओं ने अपनी शक्ति को पहचाना है और अपने प्रयासों से उन मुकामों पर पहुंची हैं , जहां कल तक केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिये आज महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही हैं और अन्य महिलाओं और अपने आस-पास के लोगों के जीवन में सफलता ला रही हैं।               उक्त उद्गार सावित्रीबाई सेवा फाउंडेशन पुणे और राहुल तायल मित्र मंडली हिसार की ओर से गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित भारतीय महिला शक्ति सम्मान समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने मुख्य अतिथि के आसंदी से कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं को विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये आगे आना चाहिये , क्योंकि आजादी के पचहत्तर साल बीत जाने के बाबजूद अभी भी कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। मुख्य अतिथि की आसंदी से उन्होंने सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये आगे कहा कि महिलाओं को हरेक क्षेत्र में आर्थिक रूप से स्वावलंबी होना चाहिये। उन्हें याचक की भूमिका से मुक्ति पाने की कोशिश करनी चाहिये और निर्णय लेने की स्थिति में आना चाहिये। उन्होंने कहा कि महिला विमर्श में महिलाओं की कमियों को उजागर करने के बजाए उनके सशक्तिकरण के मुद्दे पर ज्यादा बात होनी चाहिये। उन्होंने इस बात पर भी गहरी चिंता जताई कि आज महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है , जो बहुत घातक है। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत पुनीत कुमार और आशा नेगी के गीतों से हुई। समारोह में लतिका बत्रा और हेमलता म्हस्के की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। प्रारंभ में डा० सुनीता ने “आज और आने वाले कल की महिलायें” पर व्याख्यान दिया।अतिथियों का स्वागत करते हुये सावित्रीबाई सेवा फाउंडेशन की सचिव हेमलता म्हस्के ने दिवंगत समाजसेवी राहुल तायल को श्रद्धांजलि देते हुये कहा कि उनके द्वारा महिलाओं के हित में किये गये कार्य हमारे लिये प्रेरणाश्रोत हैं।इस समारोह में सबसे पहले प्रसिद्ध कवयित्री डा० अनामिका का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन के बाद उन्होंने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि स्त्री सृजनशीलता को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौती मानवीयता गरिमा को ऊंचा उठाना है। समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने के लिये सम्मान हेतु नामित साहित्य के लिये आऊट लुक की सहायक संपादक और चर्चित कथाकार आकांक्षा पारे दिल्ली , महिला विमर्शकार और लेखिका सुजाता दिल्ली , डा० मृदुला शुक्ला झारखंड , कवयित्री  ज्योति रीता बिहार , डा० ऋतु भनोट पंजाब ,लता प्रासर बिहार और हैदराबाद की शशि मुदगिरी को भारतीय महिला शक्ति सम्मान से सम्मानित किया जायेगा। समाज सेवा के लिये वंदना झा बिहार , वीना कुमारी हरियाणा , कुमुदिनी सदाशिव नष्ट महाराष्ट्र , डोली मंडल बिहार , शिल्पा वैष्णव गुजरात , अन्नपूर्णा तिवारी बिलासपुर छत्तीसगढ़ , राजस्थान की उजमा कमाल , मुम्बई की कुतुब किदवई , महाराष्ट्र की संगीता श्रीकांत बढे और प्रेम यादव हरियाणा को सम्मानित किया जायेगा। पुरातत्व और बुंदेलखंडी संस्कृति के संरक्षण के लिये डा० सफिया खान बुंदेलखंड , आदिवासी कल्याण के लिये झारखंड की बरखा लकड़ा , स्वास्थ्य जागरण के लिये दिल्ली की प्रियंका सिंह , चिकित्सा सेवा के लिये दिल्ली की डा० ममता ठाकुर ,नाटक निर्देशन के लिये दिल्ली की चेतना वशिष्ठ , मंजूषा कला के लिये बिहार की सुमना , लोक गायन के लिये उत्तराखंड की आशा नेगी , शिक्षा के लिये दिल्ली की डा० ममता धवन , पत्रकारिता के लिये दिल्ली की डा० दर्शनी प्रिय और निमिषा सिंह , मनोविज्ञान के लिये बिहार की ऋचा चौधरी ,योग के लिये उत्तरप्रदेश की रीता गुप्ता को महिला शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह को पद्मश्री प्राप्त डा० संजय , वरिष्ठ साहित्यकार सविता चड्ढा , संगीत मर्मज्ञ विजयशंकर मिश्र , गांधीवादी चित्रकार डा० सुधीर मंडल , कुमार कृष्णन , रमेश वत्स , राज श्योराण और अजीज सिद्दीकी ने भी संबोधित किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज और अतुल प्रभाकर ने किया। संचालन प्रसून लतांत और निमिषा सिंह ने किया।

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