गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गणपति बप्पा मोरया – आस्था, श्रद्धा और उल्लास से सराबोर गरियाबंद नगर शनिवार को विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की विदाई का साक्षी बना। सुबह से ही ढोल–नगाड़ों की थाप और “गणपति बप्पा मोरया… अगले बरस तू जल्दी आ” के गगनभेदी जयकारों से नगर की फिज़ा गूंज उठी। गुलाल की बौछार, झूमते-नाचते भक्त और सजधज से सजी शोभायात्राएँ देखकर ऐसा लगा मानो पूरा नगर भक्ति के महासागर में डूब गया हो।

भव्य शोभायात्रा – नृत्य, संगीत और उमंग
नगर के विभिन्न गणेश पंडालों से निकली प्रतिमाएँ प्रशासन द्वारा तय मार्ग – तिरंगा चौक, मस्जिदपारा, मेन रोड और पुराने बाजार से होती हुई छिंद तालाब पहुँचीं। यात्रा के दौरान हर गली, हर चौक उत्साह और उमंग का केंद्र बन गया।
बच्चे पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते दिखे तो महिलाएँ गीत गाते हुए आरती उतार रही थीं। युवाओं के डीजे पर थिरकते कदमों और सांस्कृतिक झाँकियों ने शोभायात्रा में चार चाँद लगा दिए। बाल गणेश की लीलाओं और विघ्नहर्ता की कथाओं से सजी झाँकियाँ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर गईं।
53 वर्षों की परंपरा – सिन्हा परिवार का विशेष आयोजन
पुराना मंगल बाज़ार स्थित सिन्हा परिवार के घर इस बार भी गणपति स्थापना लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। यह उनका लगातार 53वाँ वर्ष था। 52 साल पहले बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज भी पूरे विधि-विधान के साथ जीवित है।
धरमीन बाई सिन्हा, बुद्धि देवी सिन्हा, लक्ष्मी सिन्हा, रेणुका सिन्हा, भारती सिन्हा, किरन सिन्हा रचना केला, मोनिका सिन्हा और लीना वंदना ने पूरे परिवार के साथ गणपति बप्पा की आरती उतारी और विशेष मंत्रों के साथ विदाई दी।
पूरे 11 दिनों तक यहाँ दूधिया लाइटिंग, रंग-बिरंगी सजावट, मोदक का प्रसाद वितरण और सामूहिक आरतियों का आयोजन होता रहा। आसपास के लोगों ने भी परिवार के साथ इस परंपरा को उत्सव का रूप दिया।
धार्मिकता और सामाजिकता का संगम
नगर के दर्जन भर से अधिक पंडालों में हवन, पूजा और भंडारा का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर संतोष और भक्ति का अनुभव किया। कई सामाजिक संस्थाओं और युवा मंडलों ने भी शोभायात्रा में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं।
सुरक्षा और व्यवस्था – प्रशासन की चौकस निगरानी
दो बड़े पर्व – गणेश विसर्जन और ईद मिलादुन्नबी – एक साथ होने के बावजूद गरियाबंद में भाईचारे का अद्भुत नज़ारा दिखा। नगर में कहीं कोई विवाद न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।
गरियाबंद थाना प्रभारी ओम प्रकाश यादव खुद मोर्चा संभाले रहे। उन्होंने बताया – पुलिस की टीम चौक-चौराहों से लेकर छिंद तालाब तक मुस्तैद रही। हमारी कोशिश यही है कि हर भक्त को सुरक्षित और सहज वातावरण मिले।
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नगर पालिका की सेवा भावना
नगर पालिका ने भी सफाई और श्रद्धालुओं की मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। नपा अधिकारी अश्वनी वर्मा ने बताया कि विशेष ध्यान इस बात पर रहा कि पूजा सामग्री और हवन की अवशेष वस्तुएँ सीधे तालाब में न जाएँ। उन्हें अलग एकत्र कर नदी में प्रवाहित किया जा रहा है ताकि छिंद तालाब की स्वच्छता बनी रहे।
पुलिस, गोताखोर और नगर पालिका की संयुक्त ड्यूटी
कार्यक्रम को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने में पुलिस विभाग, गोताखोर दल और नगर पालिका की टीम ने सराहनीय भूमिका निभाई।
पुलिस विभाग से उपस्थित रहे – प्रधान आरक्षक भेखराम गायकवाड़, महिला प्रधान आरक्षक नीलकुसुम खलखो, आरक्षक कुंदन जगने, कृष्ण भूषण सिंह, संतोष यादव, महिला आरक्षक दिव्या सिन्हा और महिला सैनिक त्रिवेणी दीवान।
गोताखोर दल से – सैनिक नारायण सिंह और लक्ष्मीचंद कौशिक।नगर पालिका दल से – अजय ध्रुव, लोखनाथ साहू और कौशल गोपी।
सभी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए यह सुनिश्चित करते रहे कि कार्यक्रम श्रद्धा, सुरक्षा और अनुशासन के साथ सम्पन्न हो।
धार्मिक सद्भाव का अद्भुत संदेश
गणेश विसर्जन और ईद मिलादुन्नबी का जुलूस एक साथ निकलने के बावजूद पूरे नगर में भाईचारे और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल देखने को मिली। दोनों समुदायों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दीं और उत्सव में भागीदारी निभाई।
समापन – भक्ति का महासागर
विसर्जन के अंतिम क्षणों में छिंद तालाब का हर कोना भक्तिरस से सराबोर हो उठा। श्रद्धालु भावुक होकर अपने आराध्य को विदा करते दिखे। ढोल-नगाड़ों की गूंज, गुलाल की महक और जयकारों की गड़गड़ाहट के बीच जब गणपति बप्पा तालाब की लहरों में विलीन हुए तो पूरा नगर एक स्वर में गूंज उठा – गणपति बप्पा मोरया… अगले बरस तू जल्दी आ…