छुरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में किसानों की मेहनत और विश्वास से खिलवाड़ का बड़ा मामला उजागर हुआ है। रानीपरतेवा स्थित शुभम कृषि केन्द्र के संचालक पर आरोप है कि उसने ग्राम लोहझर निवासी किसान यशवंत यादव को एक्सपायर्ड दवा थमा दी। किसान ने यह दवा अपनी फसल को “माहू” बीमारी से बचाने के लिए खरीदी थी। कीमत भी मामूली नहीं थी—करीब 7 से 8 हजार रुपये।

दवा का नाम है – Benzilla Insecticide (TATA Product)
- जारी दिनांक (MFD): 04/10/2023
- वैधता समाप्ति (EXP): 02/10/2025
स्पष्ट है कि दुकानदार ने किसान को वह दवा बेची जो सिर्फ कुछ दिनों की वैधता बची हुई थी और छिड़काव तक पहुंचते-पहुंचते उसकी एक्सपायरी डेट निकल गई।
कैसे हुआ धोखा?
किसान यशवंत यादव का कहना है –
- जब उसने दुकानदार से दवा ली, तो वैधता पर सवाल किया।
- दुकानदार ने कहा – “अभी तो दिनांक बचा है, जल्दी छिड़क देना। क्यों न पैसा बना लिया जाए।”
- बारिश लगातार होने के कारण किसान 10–12 दिन छिड़काव नहीं कर पाया।
- जब खेत में छिड़काव किया तो दवा की वैधता समाप्त (02/10/2025 तक ही थी) हो चुकी थी।
नतीजा—फसल पर कोई असर नहीं हुआ और किसान की मेहनत और रुपये दोनों मिट्टी में मिल गए।
दुकानदार का पक्ष – बचाव की कोशिश
हमारे संवाददाता ने जब शुभम कृषि केन्द्र के संचालक से मोबाइल पर संपर्क किया तो उसने कहा –
- “मैंने दवा वैधता समाप्त होने से पहले ही बेच दी थी।”
- “मैंने किसान को कहा था कि दवा जल्द छिड़क देना।”
- “यह दवा मैंने टाटा कंपनी से खरीदी और बिक्री भी की।”
लेकिन सवाल यह उठता है—क्या व्यापारी का दायित्व सिर्फ “जल्दी छिड़क देना” कहकर खत्म हो जाता है? क्या किसान की मेहनत और पैसे का नुकसान दुकानदार की कोई जिम्मेदारी नहीं है?
किसानों में गुस्सा – “हमारी मेहनत से खिलवाड़”
गांव के किसानों ने इस घटना को खेत-खलिहान के साथ धोखा बताया है। उनका कहना है कि – हम साल भर खून-पसीना बहाते हैं, महंगी दवा खरीदते हैं और अगर यही दवा एक्सपायरी निकल जाए तो हमारी पूरी फसल खतरे में पड़ जाती है। ऐसे व्यापारी सिर्फ पैसा बनाने के लिए किसानों के भविष्य से खेल रहे हैं।
बड़ा सवाल – प्रशासन कब जागेगा?
- क्या कृषि विभाग सिर्फ कागजों में जांच करता रहेगा?
- क्या कंपनियां और डीलर किसानों को ऐसे ही “एक्सपायर्ड जहर” थमाते रहेंगे?
- क्या किसी विभागीय अधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी?
अगर अभी भी प्रशासन चुप रहा तो किसानों का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों और किसानों ने मांग की है कि –
1. शुभम कृषि केन्द्र की पूरी जांच की जाए।
2. स्टॉक, बिल और दवाइयों को तुरंत जब्त कर लिया जाए।
3. दुकानदार का लाइसेंस रद्द कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
4. किसान यशवंत यादव को पूरी क्षतिपूर्ति (मुआवजा) दिलाई जाए।
5. TATA जैसी कंपनियों से भी जवाब-तलब हो कि उनकी एक्सपायरी प्रोडक्ट बाजार में कैसे घूम रही थी।
यह सिर्फ एक किसान की नहीं, सबकी लड़ाई है
Benzilla Insecticide जैसे महंगे प्रोडक्ट का एक्सपायर्ड होना और उसका किसानों को बेचना इस बात का सबूत है कि कृषि व्यापारियों की प्राथमिकता सिर्फ “पैसा कमाना” है, चाहे उसके लिए किसान को बरबादी के अंधेरे में क्यों न धकेलना पड़े।
किसान की व्यथा
किसान यशवंत यादव का दर्द साफ झलकता है – मैंने 7-8 हजार रुपये की दवा खरीदी थी ताकि फसल को बचा सकूं। लेकिन जब छिड़काव किया तो दवा की वैधता समाप्त हो चुकी थी। अब मेरी फसल और पैसा दोनों बर्बाद हो गए। मुझे न्याय चाहिए और दुकानदार पर सख्त कार्रवाई हो।”
अब विभाग पर दबाव
यह मामला किसी छोटी अनियमितता का नहीं है। यह सीधा किसान की आर्थिक हत्या और फसल बर्बादी का अपराध है। अगर कृषि विभाग ने इस मामले पर तुरंत FIR दर्ज नहीं की, दुकानदार का लाइसेंस रद्द नहीं किया और कंपनी से जवाब नहीं मांगा, तो यह विभाग की मिलीभगत साबित होगी।