छुरा/गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। छुरा ब्लॉक में अपात्र व्याख्याता को बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर) बनाए जाने की खबर ने आखिरकार शासन-प्रशासन को झकझोर दिया। “गंगा प्रकाश” में प्रकाशित खबर “छुरा में शिक्षा विभाग का खुला खेल! शासन आदेश ताक पर, अपात्र व्याख्याता बना बीआरसी” का बड़ा असर हुआ है।
गरियाबंद कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक, समग्र शिक्षा ने आदेश जारी कर विवादित बीआरसी हरीश कुमार देवांगन को तत्काल प्रभाव से पद से विमुक्त कर उनके मूल विद्यालय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परसदा कला, फिंगेश्वर में पदस्थ कर दिया है।

जारी हुआ आदेश — तत्काल प्रभाव से हटाए गए अपात्र बीआरसी
जिला मिशन संचालक द्वारा जारी आदेश क्रमांक 719/एस.एस/स्था./2025-26 दिनांक 22/10/2025 में उल्लेख किया गया है कि — समग्र शिक्षा के क्रियान्वयन में शिथिलता एवं विभिन्न शिकायतों के दृष्टिगत हरीश कुमार देवांगन को विकासखंड स्रोत केंद्र समन्वयक, छुरा से विमुक्त करते हुए मूल संस्था शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परसदा कला, विकासखंड फिंगेश्वर में पदस्थ किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
इसके साथ ही संबंधित विकासखंड शिक्षा अधिकारी छुरा को निर्देशित किया गया है कि वे तत्काल श्री देवांगन से बीआरसी का प्रभार प्राप्त कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आदेश की प्रतिलिपि राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर, जिला पंचायत, जिला शिक्षा अधिकारी, एवं फिंगेश्वर-छुरा बीईओ को भी भेजी गई है।
विवादित बयान के बाद बढ़ा दबाव
गौरतलब है कि हरीश कुमार देवांगन ने अपने परिचितों से यह कहकर विवाद बढ़ा दिया था कि वे “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं, राजनेताओं से दोस्ती है, और खर्चा किया है तभी बीआरसी बने हैं। जहां जिसे शिकायत करनी है करे, कुछ नहीं होने वाला।”
इस कथन ने शिक्षा विभाग और शासन की साख पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया था।


खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया
गंगा प्रकाश में प्रकाशित खुलासे के बाद जिलेभर में चर्चा तेज़ हुई और शिक्षकों से लेकर आम नागरिकों ने प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। लगातार बढ़ते जनदबाव के बाद कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक ने जांच के बाद देवांगन को बीआरसी पद से हटाने का निर्णय लिया।
शिक्षक संघों ने स्वागत किया
शिक्षक संगठनों ने इस कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि प्रशासन का यह कदम देर से सही, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में विश्वास बहाल करने वाला है। उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए तो शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही कायम होगी।

शासन आदेश की जीत, मनमानी पर रोक
यह मामला अब छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के लिए एक उदाहरण बन गया है कि शासन के स्पष्ट आदेशों की अनदेखी कर किसी भी अपात्र व्यक्ति को महत्वपूर्ण शैक्षणिक पद पर बैठाना अब महंगा पड़ सकता है।
छुरा ब्लॉक में हुए इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि जब मीडिया सच दिखाती है तो असर होता है, और सत्ता को जवाब देना ही पड़ता है।




