छुरा (गंगा प्रकाश)। दीपों की झिलमिलाहट, सुरों की लहरें और चेहरे पर चमकती मुस्कानें — यही थी छुरा नगर की उस रात की तस्वीर, जब संगीत प्रेमियों ने दीपावली को केवल रोशनी से नहीं, बल्कि सुरों और रिश्तों की गर्माहट से जगमगा दिया।
“संगीतमय दीपावली मिलन एवं जन्मोत्सव समारोह” का यह आयोजन किसी कार्यक्रम से कम नहीं, एक भावनात्मक अनुभव बन गया — जहाँ गीतों ने दोस्ती का हाथ थामा और सुरों ने दिलों को जोड़ा।

आरंभ हुआ भक्ति की मधुरता से
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के तेल चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन और पूजा अर्चना से हुई। नेमीचंद यादव और रुपेश शर्मा की सरस्वती वंदना ने जैसे ही सुर छेड़े, पूरा पंडाल भक्ति रस में डूब गया। उसी पल यह साफ हो गया कि आज की रात केवल रोशनी की नहीं, सुरों की भी होगी।
मंच पर पहुंचे सम्मानित अतिथि
कार्यक्रम में गरियाबंद के डीएसपी गोपाल वैश्य, जिला पंचायत सभापति लेखराज ध्रुवा, रायपुर के सुबोध फ्रैंकलिन, राकेश दास, उत्तम पवार, भिलाई से दीपक दीवान, दुर्ग के हरीश ठक्कर, डॉ. आनंद गुप्ता, रामकरण त्रिवेदी, अमिताभ जैन समेत कई प्रतिष्ठित अतिथि मंच पर उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत छत्तीसगढ़ी परंपरा में किया गया — गुलाल, पीला चावल, तिलक, श्रीफल और गमछा के साथ। मंच पर जब रुपेश शर्मा, इमरान अली, और लक्की मेमन ने अतिथियों को सम्मानित किया, तो वातावरण में अपनापन घुल गया।
दीपावली मिलन केवल त्योहार नहीं, आत्मिक संवाद है — डीएसपी गोपाल वैश्य
अपने संबोधन में डीएसपी वैश्य ने कहा, दीपावली मिलन तनाव से मुक्ति और आत्मीयता का उत्सव है। जब संगीत और लोग साथ आते हैं, तो समाज में नई ऊर्जा जन्म लेती है।
वहीं सभापति लेखराज ध्रुवा ने कहा, ऐसे आयोजन गांव-नगरों को जोड़ने की डोर बनते हैं। यह संस्कृति की सांसें हैं, जिन्हें हमें जीवित रखना है।

सुरों का उत्सव, तालियों की बरसात
कराओके संगीत की शुरुआत गणेश वंदना से हुई, और फिर तो सुरों का झरना बह निकला। दिनेश मरकाम ने राम भजन गाकर मन छू लिया, वहीं डिगेश्वरी गोस्वामी ने सुवा गीत से ग्रामीण लय को मंच पर जीवंत कर दिया। हीरालाल साहू और डामिन साहू दंपति ने जब ददरिया छेड़ा, तो दर्शक झूम उठे।
इसके बाद मंच पर एक-एक कर गीतों की झड़ी लग गई।
मुकेश की कोमलता, रफी की रूह, किशोर कुमार का जोश और कुमार सानू की मिठास — हर स्वर में एक कहानी थी। हुमन सिन्हा, भगवान सिंह ध्रुव, बेबी सिमरन कुमार, दीपक दीवान, सुबोध फ्रैंकलिन, नेमीचंद यादव, आनंद गुप्ता, इमरान अली, धनंजय हरित, सलीम मेमन समेत करीब तीस कलाकारों ने कराओके संगीत में अपनी आवाज़ों से जादू बिखेरा।
जन्मोत्सव में मिठास और भावनाएं
मध्यान्ह भोजन से पहले माहौल फिर एक नए रंग में रंग गया। तीनों सुर साधक — रुपेश शर्मा, इमरान अली, और लक्की मेमन — का जन्मोत्सव मंच पर ही मनाया गया। केक कटा, गीत गाए गए, और हर चेहरे पर मुस्कान बिखरी रही। सभी ने तीनों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि “इनकी तिकड़ी अब छुरा की संगीत आत्मा बन चुकी है।”
सम्मान का क्षण
‘माँ शीतला म्यूजिकल संध्या ग्रुप’ के भजन कार्यक्रम में योगदान देने वाले साथियों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। सुबोध फ्रैंकलिन ने अक्टूबर-नवंबर में जन्मदिन मनाने वाले सुर साधकों को भेंट स्वरूप उपहार दिए — यह दृश्य बिल्कुल पारिवारिक लग रहा था, जहाँ मंच पर भावनाएँ भी गूंज रहीं थीं और गीत भी।
लोग, रंग और ऊर्जा
इस आयोजन में नगर के वरिष्ठजन नथमल शर्मा, यशपेंद्र शाह, समद खान, अवध राम साहू, नियाज अहमद, समेत जनप्रतिनिधि और सैकड़ों नागरिक उपस्थित थे।
सभापति लेखराज ध्रुवा ने तीनों जन्मोत्सव मनाने वाले कलाकारों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा —संगीत वह पुल है जो दिलों के बीच के फासले मिटा देता है।
पीछे की टीम, आगे की प्रेरणा
कार्यक्रम को यादगार बनाने में रामकरण त्रिवेदी, अमिताभ जैन, पुखराज ठाकुर, विमल पुरोहित, भोजराम साहू, चितरंजन चंद्राकर, और तरुण वर्मा की मेहनत झलकती रही।
संचालन हीरालाल साहू और मोहनी गोस्वामी ने सहज और जीवंत अंदाज़ में किया।
हेल्पिंग हैंड ग्रुप, वनांचल म्यूजिक परिवार, स्वरधारा परिवार और माँ शीतला म्यूजिकल भजन संध्या ग्रुप के सदस्य मंच के हर कोने में ऊर्जा बनकर मौजूद थे।
एक दीप, एक सुर, एक संदेश
यह आयोजन केवल दीपावली मिलन नहीं था — यह “दिलों का मिलन” था।
जहाँ हर गीत एक रिश्ते की तरह गूंजा, हर सुर एक दोस्ती की तरह झलका और हर मुस्कान ने यह कहा — जब दीप जलते हैं, तो संगीत बजता है, और जब संगीत गूंजता है, तो इंसानियत रोशन होती है।
छुरा की यह संगीतमय शाम आने वाले वर्षों तक यादों के दीये जलाती रहेगी।




