रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में हुई एनर्जी ऑडिट ने हैरान करने वाली गड़बड़ियों का खुलासा किया है।
प्रदेश के 22 निकायों में कम क्षमता के मीटर और लोड कनेक्शन का लंबे समय तक अधिक उपयोग किया गया, जिसके कारण पिछले दो वर्षों में लगभग 20 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बिजली बिल जमा करना पड़ा। डीआरए कंसलटेंट नागपुर द्वारा कराए गए इस ऑडिट में बिजली खपत, बिलिंग पैटर्न और तकनीकी कमियों का विस्तृत अध्ययन किया गया।
राज्य शहरी विकास अभिकरण द्वारा निकायों को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 84 हाई-टेंशन कनेक्शनों का डेस्क ऑडिट किया गया। इसमें यह पाया गया कि कई निकाय अनुबंधित मांग से अधिक बिजली का उपयोग कर रहे थे। विद्युत विनियामक आयोग के टैरिफ आदेश 2011 के अनुसार, निर्धारित मांग से 20% अधिक उपयोग पर डेढ़ से दो गुना शुल्क लगाया जाता है। वहीं, 80% से कम उपयोग होने पर अनुपयोगी मांग के लिए 375 रुपए प्रति किलोवाट की दर से शुल्क वसूला जाता है। इन गलतियों के कारण बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
अम्बिकापुर, भिलाई, बिलासपुर, बिरगांव, धमतरी, दुर्ग, रायपुर, रायगढ़ और कोरबा समेत 22 निकायों में की गई ऑडिट से यह स्पष्ट हुआ कि कई जगह स्ट्रीट लाइट, पंपिंग सिस्टम और कार्यालयों में ऊर्जा दक्ष उपकरणों का अभाव है। पुराने ट्रांसफॉर्मर, केबल और मीटर भी लाइन लॉस बढ़ा रहे हैं। कुछ निकायों में वास्तविक खपत और मीटर रीडिंग में बड़ा अंतर भी पाया गया।
शहरी क्षेत्रों में पानी सप्लाई और स्ट्रीट लाइटिंग के लिए हजारों बिजली कनेक्शनों का उपयोग होता है, जिससे निकायों पर हर साल 100 से 200 करोड़ रुपए तक की बिल देनदारी बनती है। अब प्रशासन चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा अपनाने और ऊर्जा दक्ष उपकरण लगाने की योजना बना रहा है, ताकि बिजली खर्च में कमी लाई जा सके।



