गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास एवं मुख्यधारा में जोड़ने की नीतियों का सकारात्मक असर अब जमीन पर दिखाई दे रहा है। इसी कड़ी में जिला गरियाबंद में आयोजित उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की महापरीक्षा में कुल 22 आत्मसमर्पित माओवादी शामिल हुए।
जिले में पिछले कुछ वर्षों में आत्मसमर्पित माओवादियों ने शासन की योजनाओं से प्रभावित होकर हथियार छोड़कर समाज में लौटने का मार्ग अपनाया है। शिक्षा, रोज़गार और आत्मनिर्भरता की ओर यह बड़ा कदम माना जा रहा है।
महापरीक्षा में शामिल हुए 22 पूर्व नक्सलियों ने बताया कि अब वे पढ़-लिखकर सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। शासन की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें नियमित रूप से विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
इसी क्रम में लाइवलीहुड कॉलेज, गरियाबंद में स्वरोजगार हेतु सिलाई मशीन संचालन, वाहन चालक प्रशिक्षण एवं प्लंबिंग सहित कई कौशल विकास कार्यक्रमों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में भी इन स्वयंसमर्पित पूर्व नक्सलियों को शासन की तमाम योजनाओं का लाभ देकर पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
पुनर्वास का यह मॉडल न केवल गरियाबंद बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बनकर उभर रहा है।
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